Google ने अपने Chrome ब्राउज़र को और ज्यादा स्मार्ट बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। Google I/O 2025 कॉन्फ्रेंस में कंपनी ने नए Chrome AI Feature का ऐलान किया था, जो Google Gemini मॉडल की ताकत से ऑन-स्क्रीन कंटेंट को रियल-टाइम में समझने और समझाने की क्षमता देता है। इस फीचर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह यूज़र को उसी समय जानकारी को आसान भाषा में एक्सप्लेन कर देता है, जब वह स्क्रीन पर दिख रही होती है।
जुलाई 2025 में आए अपडेट के साथ इस फीचर में एक और खास बदलाव किया गया है। अब Chrome में 20GB का ऑफलाइन लोकल LLM (Large Language Model) जोड़ा गया है, जो बिना इंटरनेट के भी ऑन-डिवाइस प्रोसेसिंग कर सकता है। यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि आजकल सबसे बड़ी चिंता डेटा प्राइवेसी की है। यूज़र चाहते हैं कि उनकी जानकारी बाहर सर्वर पर न जाए। Google का यह फीचर उसी दिशा में एक मजबूत संदेश देता है।
यह अपडेट सीधे तौर पर Microsoft Edge जैसे ब्राउज़र्स को चुनौती देता है। Edge लंबे समय से AI-powered फीचर्स के सहारे यूज़र बेस को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन Chrome का ऑफलाइन AI मॉडल Edge को टक्कर ही नहीं बल्कि कई मायनों में आगे भी निकल सकता है। खास बात यह है कि हाल ही में Reuters की रिपोर्ट (13 अगस्त 2025) में बताया गया कि AI स्टार्टअप Perplexity ने Chrome को खरीदने के लिए 34.5 बिलियन डॉलर की बोली लगाई थी। हालांकि Google ने इसे मानने से इंकार कर दिया। यह मामला आने वाले समय में लीगल बैटल का रूप भी ले सकता है, क्योंकि U.S. antitrust ruling पहले से ही Google की पॉलिसी को लेकर सख्त हो चुकी है।
इस तरह के बदलाव टेक इंडस्ट्री के लिए नए मानक तय कर सकते हैं। 2023 में Journal of Computer Security में छपी एक स्टडी ने AI-driven ब्राउज़र फीचर्स में डेटा लीकेज और प्राइवेसी रिस्क की ओर इशारा किया था। लेकिन Google का यह लोकल AI मॉडल उस रिस्क को कम करता है। हालांकि, इसके दावे तभी और मजबूत होंगे जब इसे peer-reviewed टेस्ट और सिक्योरिटी एनालिसिस से पूरी तरह वैलिडेट किया जाएगा।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर Chrome का यह AI फीचर सफल रहता है तो यह न सिर्फ ब्राउज़र वर्ल्ड बल्कि पूरे इंटरनेट के लिए एक नया मानक तय करेगा। यह यूज़र को ज्यादा कंट्रोल और प्राइवेसी देगा और साथ ही AI की पावर को रोजमर्रा की ब्राउज़िंग में शामिल कर देगा।