Google ने 28 अगस्त 2025 को एक बड़ा अपडेट पेश किया है, जिसमें Chrome ब्राउज़र में अब Gemini AI का सीधा इंटीग्रेशन किया गया है। यह बदलाव इसलिए अहम है क्योंकि अब ब्राउज़र आपके खुले हुए टैब्स और ब्राउज़िंग कॉन्टेक्स्ट को समझकर टास्क पूरे करेगा। यह फीचर सीधे तौर पर प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसे Google के मई 2025 के AI Mode टेस्टिंग का अपग्रेड माना जा रहा है, जिसमें Gemini 2.5 का इस्तेमाल कर सैकड़ों क्वेरीज़ को एक्सपर्ट-लेवल जवाब दिए गए थे।
इस अपडेट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यूज़र को अब किसी भी जानकारी को ढूंढने या बार-बार कॉपी-पेस्ट करने की ज़रूरत नहीं होगी। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास कई टैब्स खुले हैं और आप किसी रिसर्च पर काम कर रहे हैं, तो Gemini AI उन्हीं टैब्स का संदर्भ लेकर तुरंत सारांश बना सकता है, सवालों का जवाब दे सकता है या फिर किसी डॉक्यूमेंट के लिए ज़रूरी पॉइंट्स निकाल सकता है। इसका मतलब यह है कि अब काम की गति काफी तेज़ हो जाएगी और समय की बचत भी होगी।
2024 में Journal of Artificial Intelligence Research में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, AI-ड्रिवन ब्राउज़िंग टूल्स से औसतन 30% समय की बचत होती है क्योंकि वे कॉन्टेक्स्ट एनालिसिस करके यूज़र को तुरंत सही जानकारी उपलब्ध कराते हैं। इसी रिपोर्ट से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि Google Chrome में Gemini AI का इंटीग्रेशन कितना बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
हालाँकि, इस अपडेट के साथ कुछ चिंताएँ भी सामने आई हैं। सबसे बड़ी चिंता प्राइवेसी को लेकर है। चूंकि Gemini AI आपके रियल-टाइम टैब्स और ब्राउज़िंग डेटा को प्रोसेस करेगा, इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या यूज़र्स का निजी डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। Google ने अब तक इस बारे में कोई डीटेल्ड पब्लिक स्टेटमेंट नहीं दिया है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस तरह की AI-आधारित ब्राउज़िंग में डेटा सिक्योरिटी को लेकर स्पष्ट गाइडलाइंस बेहद ज़रूरी होंगी।
दिलचस्प बात यह है कि Google ने इस फीचर का लॉन्च बहुत ही शांत तरीके से किया है। जहां Lindy Build जैसी AI टूल्स को बड़े पैमाने पर हाई-प्रोफाइल लॉन्च किया गया, वहीं Google ने Gemini AI को Chrome में बैकग्राउंड इंटीग्रेशन के तौर पर पेश किया है। यह रणनीति बताती है कि Google अपने यूज़र्स को बिना किसी अतिरिक्त झंझट के सीधे उनकी रोज़मर्रा की ब्राउज़िंग में AI का अनुभव देना चाहता है।
टेक इंडस्ट्री में यह कदम प्रतिस्पर्धा को भी और तेज़ कर सकता है। अभी तक OpenAI और अन्य कंपनियाँ AI-आधारित प्रॉम्प्ट टूल्स पर फोकस कर रही थीं, लेकिन Google का यह मॉडल पूरी तरह से अलग है। यहाँ पर AI यूज़र को बार-बार लिखित निर्देश देने की बजाय खुद ही कॉन्टेक्स्ट समझकर समाधान देगा। इससे उन कंपनियों के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है जो केवल स्टैंडअलोन AI टूल्स पर निर्भर हैं।
कुल मिलाकर, Google Chrome में Gemini AI का इंटीग्रेशन इंटरनेट ब्राउज़िंग का भविष्य बदल सकता है। यह न सिर्फ़ यूज़र्स के लिए तेज़ और आसान सर्चिंग लाएगा, बल्कि मल्टी-टास्किंग और रिसर्च के काम को भी बेहद सुविधाजनक बनाएगा। हालांकि, इसके साथ प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी को लेकर नई बहसें शुरू होना तय हैं। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि Google इस दिशा में क्या कदम उठाता है और यह अपडेट यूज़र्स की उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है।
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