AI को IT Engineers ने बनाया और अब वही अपनी नौकरी खतरे में देख रहे हैं

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती तकनीक है। जिस AI को बनाने में IT इंजीनियरों ने सालों की मेहनत और दिमाग लगाया, आज वही तकनीक उनकी नौकरी के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गई है। यह कहानी किसी फिल्म की तरह लग सकती है लेकिन यह हकीकत है। हाल ही में एक केस स्टडी वीडियो सामने आया है जिसमें बताया गया है कि कैसे IT इंजीनियर खुद AI के शिकार बन रहे हैं और उनकी जॉब्स पर खतरे की घंटी बज चुकी है।

IT इंडस्ट्री में पिछले कुछ सालों में जबरदस्त बदलाव देखने को मिले हैं। पहले जहां सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, टेस्टिंग और कोडिंग जैसे काम के लिए हजारों इंजीनियरों की जरूरत होती थी, वहीं अब AI टूल्स और ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर ने इन कामों को मिनटों में पूरा करना शुरू कर दिया है। कंपनियां अब समय और पैसे दोनों बचा रही हैं और इसका सीधा असर उन IT प्रोफेशनल्स पर हो रहा है जिनकी जिम्मेदारी यही काम था। यही वजह है कि कई बड़े आईटी सेक्टर में छंटनी की खबरें सामने आ रही हैं और आने वाले समय में यह ट्रेंड और भी तेज हो सकता है।

AI की खासियत यह है कि यह लगातार सीखता रहता है और नए-नए पैटर्न को समझकर काम को और बेहतर बनाता है। उदाहरण के लिए, अगर पहले एक इंजीनियर को किसी एप्लिकेशन की टेस्टिंग में हफ्तों का समय लगता था, तो अब AI उस काम को कुछ ही घंटों में पूरा कर देता है। यही कारण है कि कंपनियां अब इंसानी संसाधनों की बजाय मशीन पर ज्यादा भरोसा कर रही हैं। इंजीनियर जिन्होंने AI को डिजाइन और प्रोग्राम किया, आज उसी के कारण अपनी नौकरी खोने के डर में जी रहे हैं।

लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि AI सिर्फ खतरा है। हर बदलाव अपने साथ नए मौके भी लाता है। जिस तरह मशीनों ने मैनुअल काम को कम किया और लोगों को नई स्किल सीखने पर मजबूर किया, वैसे ही AI इंजीनियरों को भी नए रोल्स में ढलने का मौका दे रहा है। अब जो इंजीनियर AI के साथ काम करना सीखते हैं, वे आने वाले समय में ज्यादा डिमांड में होंगे। उदाहरण के लिए, AI मॉडल ट्रेनिंग, डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग और साइबर सिक्योरिटी जैसे फील्ड्स में नौकरियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

आज जरूरत है कि IT प्रोफेशनल्स खुद को अपग्रेड करें। सिर्फ पारंपरिक कोडिंग तक सीमित रहना अब काफी नहीं है। नई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, डेटा एनालिटिक्स, AI टूल्स और क्लाउड कंप्यूटिंग सीखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, समस्या सुलझाने की क्षमता और क्रिएटिविटी जैसी स्किल्स भी उतनी ही अहम हो गई हैं क्योंकि इन पर अभी तक AI पूरी तरह हावी नहीं हो पाया है।

इस बदलाव को नकारने की बजाय इसे अपनाना ही समझदारी है। अगर IT इंजीनियर समय रहते खुद को नए दौर के लिए तैयार कर लें, तो वे न केवल नौकरी बचा सकते हैं बल्कि और भी बेहतर करियर बना सकते हैं। यही इस पूरे केस स्टडी का सबसे बड़ा संदेश है कि बदलाव से डरना नहीं बल्कि उसे अपनाना चाहिए। AI ने जिस तेजी से इंडस्ट्री को बदल दिया है, उसी तेजी से हमें भी खुद को बदलने की जरूरत है।