ICAT की नई Cybersecurity Certification आने वाली है कारों के लिए: सुरक्षा बढ़ेगी, हैकिंग का डर कम होगा!

भारत में अब जब-जब कारें अधिक कनेक्टेड हो रही हैं—इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट्स (ECUs), इंटरनेट कनेक्शन, IoT\ COMPONENTS, स्मार्ट ऐप्स और टेलीमैटिक्स के माध्यम से – हैकर्स का खतरा भी बढ़ गया है। इस स्थिति को देखते हुए ICAT (International Centre for Automotive Technology, Manesar) ने घोषणा की है कि अगले दो वर्षों के अंदर कारों के लिए एक साइबरसिक्योरिटी सर्टिफिकेशन शुरू होगा। यह सर्टिफिकेशन उन सब घटकों के लिए होगा जो सुरक्षा-खतरे पैदा कर सकते हैं जैसे कि ECU, सॉफ्टवेयर अपडेट सिस्टम, M2M SIMs, सेंसर नेटवर्क आदि।

यह सर्टिफिकेशन नई सरकारी नियमावली AIS-189 से जुड़ेगा, जो भारत की पहली ऑटोमोबाइल साइबरसिक्योरिटी स्टैंडर्ड होगी। AIS-189 का मकसद है कि कार निर्माता (OEMs) एक Cybersecurity Management System (CSMS) स्थापित करें, जिसमें जोखिम मूल्यांकन, सॉफ्टवेयर सुरक्षा, प्रमाणिकता, डेटा सुरक्षा और सुरक्षित अपडेट सिस्टम शामिल हों। यह UN R155 और ISO 21434 जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।

ICAT certification की प्रक्रिया में टेस्टिंग और वेरिफिकेशन दोनों शामिल होंगे। कार या घटक को टेस्ट लैब में लाया जाएगा जहाँ उनके सॉफ्टवेयर, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, सिम कार्ड या टेलीमैटिक्स मॉड्यूल की vulnerability, spoofing, unauthorized access, over-the-air update security आदि की जांच होगी।

उदाहरण के लिए, Okaya EV ने पहले ही ICAT से AIS-156 Amendment III Phase 2 सर्टिफिकेशन प्राप्त किया है। इसमें बैटरी पैक की सुरक्षा, थर्मल प्रोटेक्शन, smart BMS, IP67 रेटिंग जैसे फीचर्स शामिल थे। यह दिखाता है कि EV निर्माताओं के लिए सुरक्षा और प्रमाणन की मांग बढ़ रही है।

चुनौतियाँ भी हैं: अब तक नियम पूरी तरह से अधिसूचित नहीं हैं और क़ानूनी बदलाव ज़रूरी हैं ताकि यह सर्टिफिकेशन अनिवार्य हो सके। टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, वैज्ञानिक टेस्ट लैब्स और पर्याप्त टेक्निकल स्किल्स वाले इंसान हों, ये सब बातें अभी विकसित हो रही हैं। ICAT अभी “software / electronics labs” और ADAS टेस्ट ट्रैक बनाने की योजना बना रहा है ताकि सॉफ़्टवेयर आधारित परीक्षण और अल्गोरिदम परीक्षण देश में हो सके।

नागरिकों के लिए इसका मतलब होगा अधिक सुरक्षित वाहन अनुभव: हैकर्स के द्वारा दरवाज़े, ब्रेक, स्टीयरिंग आदि को रिमोटली नियंत्रित करने के खतरे कम होंगे, वाहन सॉफ़्टवेयर अपडेट सुरक्षित होंगे, और डेटा प्राइवेसी का ध्यान रखा जाएगा। OEMs के भरोसे में वृद्धि होगी और उपयोगकर्ता यह समझेंगे कि उनका वाहन सिर्फ दिखने में ही नहीं बल्कि तकनीकी रूप से सुरक्षित भी है।

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