हेल्थकेयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। डॉक्टर अब मरीजों के एक्स-रे, एमआरआई और मेडिकल रिपोर्ट पढ़ने के लिए AI टूल्स की मदद ले रहे हैं। लेकिन इसी बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह तकनीक एक नए मेडिकल एथिक्स संकट (AI-borne medical ethics crisis) को जन्म दे रही है।
AI in healthcare raises #ethical questions. Our director of research ethics, Matt DeCamp, MD, PhD, of @ACCORDSResearch and @CUInternalMed, urges transparency and listening to patients to ensure that #AI is benefiting them without putting them at risk. https://t.co/c1F9mUiAcg pic.twitter.com/FNM8c02lPV
— CCTSI (@CCTSI) September 15, 2025
सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर AI गलत निदान कर दे तो जिम्मेदारी किसकी होगी – डॉक्टर की या तकनीक बनाने वाली कंपनी की? कई मामलों में AI टूल्स ने मरीजों को गलत रिपोर्ट दी है, जिसके कारण इलाज में देरी और अनावश्यक दवाइयाँ लिखी गईं। यह सीधे-सीधे मेडिकल एथिक्स का उल्लंघन माना जा रहा है।
दूसरा बड़ा मुद्दा है डेटा प्राइवेसी। मरीजों का निजी मेडिकल डेटा बड़े AI सर्वर पर स्टोर होता है। इस डेटा का गलत इस्तेमाल या लीक होना गंभीर खतरा बन सकता है। हेल्थकेयर में मरीज की सहमति (patient consent) हमेशा महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन AI सिस्टम में यह सवाल बड़ा हो रहा है कि क्या मरीजों को पूरी जानकारी दी जा रही है कि उनका डेटा कैसे इस्तेमाल होगा।
AI पर अत्यधिक निर्भरता भी चिंता का कारण है। डॉक्टरों के बीच यह डर बढ़ रहा है कि कहीं वे खुद clinical decision-making की क्षमता न खो दें। अगर भविष्य में इलाज पूरी तरह से AI एल्गोरिदम पर आधारित हुआ तो मानवीय संवेदनशीलता और डॉक्टर-मरीज का रिश्ता कमजोर हो सकता है।
AI's rapid evolution in healthcare is exciting, but implementation is the real challenge. Considerations include workflow integration, guidelines, budgeting, workforce changes, reimbursement, and regulation. pic.twitter.com/O0h9hxzrtA
— Aleksandra Zuraw (@olkazuraw) September 9, 2025
कई देशों में अब AI को मेडिकल उपकरण (medical device) मानकर नियम लागू करने की बात हो रही है। यूरोप और अमेरिका में रेगुलेटरी एजेंसियां AI आधारित हेल्थ टूल्स के लिए नए एथिकल गाइडलाइंस बनाने पर काम कर रही हैं। भारत में भी नीति आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय इस मुद्दे पर ध्यान दे रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि AI का इस्तेमाल पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, लेकिन इसे “सहायक टूल” (assistive tool) के रूप में ही अपनाना होगा। अंतिम निर्णय डॉक्टर के पास होना चाहिए, ताकि एथिक्स और मरीज के भरोसे दोनों सुरक्षित रहें।
AI ने हेल्थकेयर को नई दिशा दी है, लेकिन इसके साथ ही एक गहरा सवाल भी खड़ा कर दिया है: क्या टेक्नोलॉजी इंसानी नैतिकता की जगह ले सकती है?
Many Indians are increasingly relying on AI tools like ChatGPT and Google for medical advice, leading to incorrect self-diagnosis and worsening health outcomes.
— Parthasarathy.v (F.R.M) (@agripartha) September 10, 2025
AI Usage in Healthcare
People are using AI for health advice, often trusting these tools over medical professionals,… pic.twitter.com/PIINlbma5G
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