EU की नई AI Guidelines पर उठे सवाल: विशेषज्ञों ने की कड़ी आलोचना

यूरोपीय संघ (EU) ने हाल ही में नई AI Guidelines जारी की हैं, जिनका मकसद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के सुरक्षित और जिम्मेदार इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। लेकिन इन गाइडलाइंस को लेकर टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों, स्टार्टअप्स और इंडस्ट्री लीडर्स की आलोचना सामने आ रही है।

आलोचना क्यों हो रही है?

विशेषज्ञों का मानना है कि ये नियम बहुत कठोर और जटिल हैं, जिससे AI सेक्टर में इनोवेशन की रफ्तार धीमी हो सकती है।

  • छोटे स्टार्टअप्स के लिए इन गाइडलाइंस का पालन करना महंगा और मुश्किल होगा।
  • AI कंपनियों को भारी कंप्लायंस कॉस्ट का सामना करना पड़ेगा।
  • इससे यूरोप की टेक इंडस्ट्री अमेरिका और एशिया से पीछे रह सकती है।

स्टार्टअप्स पर दबाव

कई स्टार्टअप फाउंडर्स का कहना है कि नए नियम ब्यूरोक्रेसी और पेपरवर्क बढ़ा देंगे। पहले से ही निवेश जुटाने और स्केल करने में संघर्ष कर रहे छोटे AI स्टार्टअप्स को अब लीगल और रेग्युलेटरी बोझ का सामना करना पड़ेगा।

प्राइवेसी और एथिक्स पर फोकस

EU का कहना है कि इन गाइडलाइंस का मकसद सिर्फ टेक्नोलॉजी कंट्रोल करना नहीं है, बल्कि डेटा प्राइवेसी, एथिक्स और ह्यूमन राइट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। EU ने चेतावनी दी है कि अनियंत्रित AI भविष्य में बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल का कारण बन सकता है।

टेक लीडर्स का तर्क

कई टेक लीडर्स का मानना है कि EU की नीति अत्यधिक सुरक्षा पर केंद्रित है और इससे यूरोप AI रेस में पिछड़ सकता है। उनका कहना है कि अमेरिका और चीन जैसे देश जहां तेज़ी से AI डेवलपमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं EU का सख्त रुख इनोवेशन को रोक देगा।

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