Google Lays Off 200+ AI Contractors: क्या हुआ और क्यों विवाद है

Google ने हाल ही में अपनी AI उत्पादों, जैसे कि Gemini चाटबोट और AI Overviews, के लिए काम कर रहे 200+ कॉन्ट्रैक्टर्स को बिना किसी पूर्व चेतावनी के निकाल दिया है। ये लोग “super raters” कहलाते हैं-वे AI के आउटपुट को जाँचते, सुधारते और स्वाभाविक भाषा में सही रूप देने का काम करते थे।

कौन थे ये कामगार और किस तरह काम करते थे?

  • रोल और काम: ये AI raters का काम Google के संवाद-मॉडल, खोज परिणामों के सारांश (search summaries / overviews), चैटबोट की प्रतिक्रियाएँ आदि की गुणवत्ता जांचना होता था।
  • रुपाइयाँ और अधिकार: कुछ “super raters” के पास मास्टर या PhD जैसे उन्नत डिग्री थी। लेकिन अधिकांश को third-party कंपनियों (outsourcing) के माध्यम से रखा गया था, जैसे GlobalLogic, जिसके चलते उनका वेतन, लाभ और नौकरी की सुरक्षा सीमित थे।

विवाद और चुनौतियाँ

मुद्दाविवरण
अचानक छंटनी (Sudden Layoffs):कई लोगों का कहना है कि बिना कोई चेतावनी, या स्पष्ट व्याख्या केcontracts समाप्त कर दिए गए।
वेतन-भेद (Pay Disparity):सीधे काम पर लगे raters को $28-$32 प्रति घंटे मिलता था, जबकि तीसरी पार्टी (subcontractors) द्वारा लिए गए लोगों को ₹18-$22/घंटा (approx.) मिलता था, काम वही था।
नौकरी की अनिश्चितता (Job Insecurity):लोग डर रहे हैं कि AI-मॉडलिंग और ऑटोमेशन की प्रगति के कारण उनका काम स्वचालित प्रणाली (automated system) द्वारा किया जाए।
संघ-निरोधकवाद (Union-busting) के आरोप:कुछ कामगारों ने कहा है कि जब उन्होंने बेहतर मजदूरी और काम की शर्तों के लिए आवाज उठाई, तो उन पर दबाव पड़ा, और छंटनी की प्रक्रिया संभवतः नौकरी-सुरक्षा की मांगों को दबाने का माध्यम बनी।

Google / GlobalLogic क्या कहना चाह रहे हैं?

  • Google ने कहा है कि ये कर्मचारी Alphabet (Google की मूल कंपनी) के कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि GlobalLogic या उसके subcontractors के हैं। इसलिए काम की शर्तों, वेतन और अनुबंध संबंधी जिम्मेदारियाँ उन कंपनियों की हैं।
  • GlobalLogic की ओर से अभी तक सार्वजनिक रूप से ज़्यादा विवरण नहीं मिला है कि ये फैसले किन तकनीकी या प्रोजेक्ट-बेस कारणों से लिए गए।

व्यापक संदर्भ (Why यह मामला महत्वपूर्ण है)

  • यह घटना टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में contracting मॉडल और आउटसोर्सिंग के बेहद अस्थिर स्वरूप को उजागर करती है। AI डेटा वर्कर्स, कंटेंट मॉडरेटर आदि बहुत सारी कंपनियों में इस तरह अस्थिर स्थिति में काम कर रहे हैं।
  • साथ ही यह दिखाता है कि AI ऑटोमेशन खुद उन लोगों को प्रभावित कर सकती है जो AI को सिखाते हैं या सुधारते हैं।
  • मजदूरी, श्रम अधिकार, अनुबंध की पारदर्शिता जैसे मुद्दे अब सिर्फ सामाजिक प्रश्न नहीं, बल्कि कानूनी और नीति निर्धारण (policy) के लिए भी ज़रूरी हो गए हैं।

आगे क्या हो सकता है

  • कामगार संयुक्त बने (unionize) और श्रमिक संगठनों की मदद से बेहतर अनुबंध (contract terms), वेतन, काम की शर्तें सुनिश्चित करें।
  • ऑटोमेशन चाहे कितनी भी बढ़े, कंपनियों को मानवीय समीक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए मानव raters की ज़रूरत बनी रहेगी – इस तरह से कामगारों को पर्याप्त प्रशिक्षण और सुरक्षित भूमिका मिले।
  • सरकारें और श्रम नियामक (labor regulators) यह देख सकते हैं कि आउटसोर्सिंग कंपनियों में श्रमिकों के हित सुरक्षित हों, विशेषकर AI उद्योग में जहाँ काम अक्सर अप्रत्याशित और अस्थायी ही होता है।
  • कंपनियों को अपने AI मॉडल बनाते समय यह स्पष्ट करना चाहिए कि कौन से कार्य स्वचालन से बदले जाएंगे, और कर्मचारियों को समय रहते सूचना दी जाए ताकि वे तैयारी कर सकें।

निष्कर्ष

Google की यह छंटनी घटना सिर्फ एक कंपनी की कहानी नहीं है, बल्कि टेक इंडस्ट्री में काम की प्रकृति बदलने की शुरुआत का संकेत है। AI के ज़माने में न सिर्फ तकनीक बल्कि कामगारों की भूमिका, अधिकार, और उनके काम की स्थिरता भी महत्वपूर्ण सवाल बन गए हैं।

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