Meta Ray-Ban Display ग्लासेस + Neural Wristband: AI स्मार्ट चश्मों का नया युग

Meta ने Meta Connect 2025 इवेंट में Ray-Ban Display नाम से अपना नया AI-पावर्ड स्मार्ट ग्लासेस मॉडल पेश किया है जिसमें एक display लगा है जो दाहिने लेंस के नीचे की ओर छोटा heads-up विज़ुअल इंटरफ़ेस देता है और साथ में एक Neural Wristband जो हाथ और कलाई की सूक्ष्म हरकतों (gestures) को समझकर कमांड लेने की क्षमता रखता है।

यह दोनों डिवाइस (चश्मा + बैंड) मिलकर यूजर को ऐसे फीचर्स देंगे जो पहले सिर्फ स्मार्टफोन या बड़े एआर हेडसेट्स में मिलते थे। चश्मों में मैसेज, मैप्स नेविगेशन, म्यूजिक कंट्रोल, वीडियो कॉल्स, कैमरा व्यूफाइंडर और लाइव ट्रांसलेशन जैसे उपयोगी AI-इंटीग्रेटेड टूल शामिल हैं, जो उपयोगकर्ता की ज़रूरतों को देखते हुए डिजाइन किए गए हैं।

display की स्क्रीन लगभग 600×600 पिक्सेल की है और field-of-view लगभग 20-डिग्री है, peak ब्राइटनेस 5,000 निट्स तक की है ताकि बाहरी रोशनी में भी दृश्य साफ़ बने; चश्मों का वजन लगभग 69 ग्राम है। Neural Wristband EMG-sensor बैंड है जो मांसपेशियों की हल्की इलेक्ट्रिक सिग्नल को पहचानता है जब आप अंगूठे और तर्जनी (thumb + index finger) से gesture करते हैं, जैसे pinch करना, स्लाइड करना, डबल टैप आदि।

यह gesture-based नियंत्रण चश्मों को अधिक सहज और discreet बनाता है क्योंकि अब हर interaction के लिए हाथ लेंस के सामने नहीं लाना पड़ेगा। बैटरी लाइफ की बात हो तो चश्मों में लगभग 6 घंटे की सामान्य उपयोग की तरह और चार्जिंग केस के साथ अतिरिक्त ≈30 घंटे तक की क्षमता मिलती है। Wristband की बैटरी लगभग 18 घंटे चलती है।

चश्मे $799 की कीमत पर आ रहे हैं और वे US में 30 सितंबर से बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे; बाद में कनाडा, फ्रांस, इटली और UK में लॉन्च होने की योजना है। भारत में अभी आधिकारिक लॉन्च की सूचना नहीं है। स्विच ऑन करने पर फोन जेब में रखा जा सकता है क्योंकि अधिकांश कार्य display + wristband + AI assistant से किए जा सकेंगे, जिससे फोन का प्रयोग कम होगा।

यह उत्पाद wearable tech और augmented reality की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह input methods (voice, touch) से आगे बढ़कर gesture-control और display-based इंटरैक्शन को बढ़ावा दे रहा है। इसके बावजूद कुछ चुनौतियाँ होंगी जैसे कीमत का प्रीमियम होना, display का field-of-view सीमित होना, और gesture recognition की सटीकता, विशेष रूप से low light या जब wristband पहनने का तरीका (कलाई की मोटाई, कपड़े इत्यादि) भिन्न हो, तभी सिग्नल की सही पहचान हो पाती है।

Read Also