WTO (World Trade Organization) की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस आने वाले वर्षों में वैश्विक व्यापार (goods + services) को 2040 तक लगभग 34-37% तक बढ़ाने की क्षमता रखती है और वैश्विक GDP में 12-13% तक की बढ़ोतरी संभव है; लेकिन यह सब तभी होगा जब देशों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, नीतियाँ और inclusive योजनाएँ समय पर अपनाई जाएँ।
AI के कारण व्यापार से जुड़े ख़र्च (trade costs) घटेंगे क्योंकि logistics, documentation, regulatory compliance आदि प्रक्रियाएँ जो अभी बहुत समय और संसाधन लेती हैं, वे AI-मराधारित समाधानों से अधिक तेज़ और सस्ते होंगे जैसे कि AI-सक्षम ट्रांसलेशन टूल्स छोटे निर्यातकों को नई बाजारों तक पहुँचने में सहायता करेंगे जहाँ भाषा या कानूनी बाधाएँ होती हैं।
निचले-आय वाले देशों (low-income countries) को इसका विशेष लाभ हो सकता है यदि उनके पास पर्याप्त इंटरनेट और कम्प्यूटिंग संसाधन हों; रिपोर्ट लगाती है कि ऐसे देशों में निर्यात वृद्धि लगभग 11% तक हो सकती है, बशर्ते डिजिटल आधारभूत संरचना (infrastructure) बेहतर हो।
लेकिन साथ ही चुनौतियाँ भी हैं कि यदि AI का लाभ सिर्फ अमीर देशों, बड़े व्यवसायों और शक्तिशाली तकनीकी कंपनियों तक सीमित रहे, तो आर्थिक असमानताएँ और बढ़ सकती हैं। कई देशों को श्रमिकों की पुनः-प्रशिक्षण (retraining), डेटा सुरक्षा नीति, बौद्धिक संपदा अधिकार (IP rules) आदि विषयों पर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि ये बदलाव न्यायसंगत हों।
रिपोर्ट इसी बात पर जोर देती है कि वैश्विक व्यापार नियम (trade rules) को आधुनिक बनाना होगा, ताकि AI-प्रभावित सेवाएँ, डिजिटल सामानों का अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान, डेटा प्रवाह (data flows), और क्लाउड सेवाएँ सुगमता से हो सकें। टैरिफ, सीमा शुल्क (tariffs & customs duties) और डेटा-निति (data regulation) जैसे विषयों को संतुलित एवं पारदर्शी बनाया जाना जरूरी है।
AI set to transform global trade, says World Trade Organization report
— PiQ Newswire (@PiQNewswire) September 17, 2025
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कुल मिलाकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि AI यदि सही नीतियों और निवेश के साथ अपनाया जाए, तो यह वैश्विक व्यापार को सिर्फ मात्रा में नहीं बल्कि गुणवत्ता में भी बदल देगा: तेज़, कम लागत, बड़े बाजारों में छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए अवसर, नए डिजिटल सेवाएँ, और अधिक समावेशी आर्थिक वृद्धि।
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