शर्मिष्ठा पनौली को इंस्टाग्राम वीडियो के लिए कोलकाता पुलिस ने किया अरेस्ट।
"ऑपरेशन सिंदूर" से जुड़ी एक क्लिप में धार्मिक टिप्पणी को लेकर विवाद।
शर्मिष्ठा ने पब्लिकली माफी मांगी और वीडियो डिलीट भी कर दिया।
पोस्ट में सवाल उठाया गया — एक मज़ाक उड़ाए, तो सेलिब्रिटी… और एक बोले सच, तो जेल?
क्या धर्म और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एकसमान कानून लागू होता है?
#JusticeForSharmistha ट्रेंड करने लगा, लोगों ने आज़ादी की बात की।
IPC सेक्शन 295A के तहत धार्मिक भावना आहत करने पर कार्रवाई संभव।
क्या कानून सबके लिए बराबर है या सोशल मीडिया पर छवि से चलता है इंसाफ?