AI ने बनाई बाइबिल की कहानियाँ: Pray.com के वीडियोज़ पर विवाद, विश्वास और मनोरंजन के बीच सवाल

AI टेक्नॉलजी अब धर्म और कथाओं के अनुवाद व प्रस्तुति के तरीके बदल रही है, और “AI Bible” जैसे प्रोजेक्ट्स इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। Pray.com नाम की कंपनी अब बाइबिल की कहानियों की वीडियो एडिट्स AI टूल्स की मदद से हर हफ्ते प्रसारित कर रही है। इन वीडियोज़ में Old Testament और बुक ऑफ़ Revelation जैसी बाइबिल की कहानियों को बड़े-नाटकीय (epic) दृश्य, एनीमेशन और विशेष प्रभावों (visual effects) के साथ दिखाया जा रहा है – अक्सर हॉलीवुड-शैली, वीडियो गेम या fantasy आर्ट के अंदाज़ से।

लेकिन इस प्रयोग ने विवाद को जन्म दिया है। कुछ धर्मशास्त्री कहते हैं कि ये वीडियो “मनोरंजन” की श्रेणी में तो बहुत आकर्षक हैं, पर “विश्वास की गंभीरता” को कहीं खो देते हैं। जैसे कि Book of Revelation के हिस्सों में भयंकर विस्मयकारी दृश्य, नींदारवादों (prophecies), नौ-सिर वाले ड्रैगन जैसे प्रतीकों को AI-जनरेटेड दृश्य के जरिये दिखाना उनसे अधिक डरावना या अतिरंजित लगना शुरू हो गया है।

विश्वासियों का कहना है कि अगर ये वीडियो ईमानदारी से Scripture की भाषा का पालन करते हैं, तो ये प्रेरणा का स्रोत हो सकते हैं – खासकर युवा पीढ़ी के लिए। उदाहरण के लिए Pray.com के CTO ने कहा है कि दर्शकों से सकारात्मक फीडबैक मिला है, जिन्होंने लिखा कि उन्हें ये कहानियाँ ऐसे दिखती हैं जैसे वे सच में जीवित हों – इससे बाइबिल की कहानियों से संबंध जुड़ रहा है।

लेकिन आलोचनाएँ भी बहुत हैं। बहुत से लोग इस बात पर चिंता जताते हैं कि AI एनीमेशन या वीडियो जनरेशन कुछ ऐसी व्याख्याएँ और विवरण जोड़ देते हैं जो बाइबिल के मूल पाठ में नहीं हैं। उदाहरण के लिए वीडियो गेम या हॉलीवुड जैसा ड्रामा बढ़ाना, दृश्य प्रभावों का उपयोग, कल्पनात्मक (fantasy-style) चित्रकला – ये सब कहानी की पवित्रता या बाइबिल की मूल भावना को प्रभावित कर सकते हैं।

एक अन्य विवाद यह है कि ऐसी सामग्री अक्सर “viral” बनने के लिए तैयार की जाती है,जिसमें सच्चाई से ज़्यादा एंटरटेनमेंट प्राथमिक हो जाता है। यह सवाल उठते हैं – क्या यह सिर्फ कहानी सुनाने का नया तरीका है, या धर्म की धार्मिक अनुभूति और विश्वास को प्रभावित करने की कोशिश है? धार्मिक दृष्टिकोणों से, बाइबिल कथाएँ सिर्फ टेक्स्ट नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव और आत्म-परिवर्तन की शक्ति रखती हैं, जिसे चित्रशाला (visuals) या वीडियो स्टाइल में प्रस्तुत करना आसान नहीं है।

तकनीकी और नैतिक मुद्दे भी हैं: AI­-tool कभी-कभी गलती कर सकते हैं – दृश्य के विवरण, संदर्भ (context), अनुवाद की शुद्धता आदि में अंतर हो सकता है। इसके अलावा, इस तरह की सामग्री बनाने वालों की पारदर्शिता (transparency) और स्रोतों का आकलन जरूरी है – जैसे कि ये वीडियो बाइबिल के किस अनुवाद की प्रति आधारित हैं, और कितनी स्वतंत्र शोध और धर्मशास्त्रिक समीक्षा रहे।

इस पूरे विवाद से स्पष्ट है कि AI Bible Content सिर्फ एक प्रौद्योगिक बदलाव नहीं है बल्कि विश्वास, संस्कृति और धर्म की व्याख्या के तरीके को चुनौती दे रहा है। जो लोग इस तरह की वीडियो सामग्री पसंद करते हैं, उन्हें यह भी सोचना होगा कि ये सामग्री सिर्फ “देखने के अनुभव” के लिए है या सचमुच आध्यात्मिक गहराई और सत्यता को प्रतिबिंबित करती है।

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