AI से डिज़ाइन वायरस: वैज्ञानिक चेतावनियाँ और कैसे बचें

AI तकनीक में इतनी प्रगति हो चुकी है कि विशेषज्ञ ज़ोर दें रहे हैं कि इसका इस्तेमाल वायरस या जैविक खतरों (biothreats) बनाने में भी हो सकता है। OpenAI के CEO Sam Altman ने हाल ही में चेतावनी दी है कि बड़े-भाई AI मॉडल अब जैविक अनुसंधान (biology research) में इतने सक्षम हो गए हैं कि गलत हाथों में ये COVID-स्तर की महामारी जैसी स्थिति पैदा कर सकते हैं। एक अन्य अध्ययन में दिखाया गया कि AI मॉडल जैसे OpenAI o3 और Google Gemini 2.5 Pro प्रयोगशालाओं में वायरस से जुड़े खराबी-निवारण (lab troubleshooting) कार्यों में PhD-स्तरीय जीवविज्ञानियों (virologists) से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि AI में जैविक कामों को समझने की क्षमता बढ़ रही है।

लेकिन खतरों की संभावना पर कई सीमाएँ भी हैं। शोध बताते हैं कि वर्तमान सुरक्षा फिल्टर (program safeguards) पर्याप्त नहीं हैं; PPI (protein-protein interaction) अनुमान और अन्य मॉडल्स कई ज्ञात वायरस एवं वायरस-म्यूटेंट्स को पहचानने में अक्षम रहे हैं। उदाहरण के लिए, कुछ SARS-CoV-2 म्यूटेंट्स जिन्हें प्रयोगशालाओं में प्रमाणित किया गया है, उन्हें AI मॉडल्स ने पहचान नहीं लिया। खाने का मकसद न हो तो डेटा छोटी-छोटी गलतियों या अनुमान पर आधारित हो सकता है, और ऐसी जानकारी रोमांचक लेकिन खतरनाक दोनों हो सकती है।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि AI-निर्मित जैविक खतरे (synthetic bioweapons) को रोकने के लिए हमें कई स्तरों पर कदम उठाने होंगे। पहला, AI मॉडल और जीन सीनथेसिस कंपनियों पर सख्त नियंत्रण और screening होनी चाहिए ताकि कोई व्यक्ति आसानी से जानलेवा या transmissible वायरस बनाने की सामग्री न जुटा सके। दूसरा, AI एआई प्लैटफ़ॉर्म्स में biosecurity audits और threat modelling विकसित होनी चाहिए, ताकि मॉडल की क्षमताएँ और सीमाएँ पहले ही समझ ली जाएँ। तीसरा, अंतरराष्ट्रीय मानक और नीतियाँ (governments / WHO / संबंधित एजेंसियाँ) इस खतरे की निगरानी करें ताकि misuse की स्थिति में प्रतिक्रिया त्वरित हो।

उपभोक्ताओं और शोधकर्ताओं (research community) के स्तर पर भी बचाव के उपाय ज़रूरी हैं। प्रयोगशालाओं में काम करने वालों को जीव स्वास्थ्य (biosafety) प्रशिक्षण और नैतिक दृष्टिकोण समझना चाहिए। AI टूल्स का उपयोग करते समय यह सुनिश्चित करें कि input डेटा सही हो, प्रशिक्षित हो, और मॉडल की output पर निगरानी हो। सार्वजनिक संवाद और शिक्षा (public awareness) भी महत्वपूर्ण है – लोगों को यह जानना चाहिए कि AI की ये क्षमताएँ हैं लेकिन ये कैसे-बिना नियंत्रण के खतरा बन सकती हैं।

कुल मिलाकर, “AI designed viruses” की संभावना वर्तमान में एक चेतावनी है – पूरी तरह से सिद्ध नहीं, लेकिन बायोटेक्नोलॉजी, AI मॉडलिंग, डेटा पहुँच और जीव विज्ञान की समझ में प्रगति की वजह से यह एक वास्तविक चिंता बन गई है। यदि समय रहते नियम, सुरक्षा उपाय, और जागरूकता को अपनाया जाएँ, तो इस खतरे को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

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