Hard Drives वापिस आ रहे हैं AI Data के लिए – SSD से सस्ता और ज़्यादा क्षमता वाला विकल्प!

AI मॉडल जैसे Generative AI और डेटा-लॉन्ग-टर्म डेटा सेविंग (data retention) की ज़रूरत के कारण Hard Drives (HDDs) फिर से मुख्यधारा में आ रहे हैं क्योंकि वे SSDs की तुलना में प्रति TB कीमत (cost per terabyte) में बहुत सस्ते होते हैं। Seagate ने हाल ही में Exos M और IronWolf Pro सीरीज़ में 30TB HAMR-आधारित Hard Drives लॉन्च की हैं, ये ड्राइव्स बड़े डेटा सेंटरों और NAS सिस्टम्स के लिए डिज़ाइन की गई हैं जो बड़े पैमाने पर स्टोरेज की ज़रूरत रखते हैं।

Seagate का अनुमान है कि 2030 तक HDD की क्षमता लगभग तीन गुना बढ़ेगी ताकि AI-से जुड़े बड़े-बड़े डेटा सेट्स, मॉडल वर्कफ़्लोज़ और बैकअप / आर्काइव कार्यों को संभाला जा सके। वर्तमान में उनका शीर्ष HDD मॉडल 36TB Exos M है, लेकिन 100-TB ड्राइव की राह पर भी काम चल रहा है।

एक रिपोर्ट से पता चलता है कि लगभग 61% व्यवसायों को उम्मीद है कि उनका क्लाउड-आधारित स्टोरेज अगले तीन सालों में 100% से ज़्यादा बढ़ेगा, और इस वृद्धि की बुनियाद HDDs की स्केलेबिलिटी और लागत-प्रभावशीलता (cost efficiency) पर ही टिकेगी।

HDDs की वापसी के पीछे की वजहें मुख्यतः ये हैं:

  • बड़े डेटा वाले AI ट्रेंड जैसे कि training डेटा, लॉग्स, बैकअप / आर्काइव डेटा आदि जिन्हें तेज़ एक्सेस की ज़रूरत कम होती है।
  • HAMR जैसी नई टेक्नॉलॉजीज़ ने हर प्लेटर (disk platter) पर डेटा पैकिंग बढ़ा दी है, जिससे प्रति यूनिट स्टोरेज की दर (areal density) सुधरी है।
  • SSDs बहुत तेज़ हैं लेकिन महंगे हैं और बड़े-बड़े डेटा सुरक्षित रूप से रखने के लिए SSD पूरी तरह उपयुक्त नहीं होते – लागत ज़्यादा और बिजली/ठंडक की ज़रूरत भी बढ़ जाती है। HDDs यहाँ पर cost-benefit के हिसाब से बेहतर विकल्प बनते हैं।

हालाँकि, SSDs की अपनी जगह बनी हुई है – जहाँ latency कम होनी चाहिए, उदाहरण के लिए training, inference, hot-data applications – वहीं HDDs का उपयोग “cold data”, backups और आर्काइविंग के लिए ज़्यादा हो रहा है। टेक्स्ट / इमेज डेटा जो तुरंत नहीं बदलता, उसे HDD पर रखा जा रहा है।

भविष्य में HDD उद्योग कई सुधारों की ओर देख रहा है जैसे:

  • नए इंटरफेस जैसे NVMe-HDDs जो traditional SATA/SAS से बेहतर throughput और latency दे सकें।
  • drives की reliability, ऊर्जा खपत और ठंडक प्रबंधन (cooling) में सुधार, क्योंकि बड़े डेटा सेंटर्स में ये बड़े खर्च होते हैं।
  • HAMR जैसे तकनीक़ों का और विकास, जिससे प्रति ड्राइव अधिक TB संभव हो सके।

अगर भारत की बात करें तो, जैसे क्लाउड सेवा प्रदाता, सरकारी डेटा सेंटर और AI/ML स्टार्टअप्स बढ़ रहे हैं, ऐसे में HDD-based storage समाधान लागत को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकते हैं। भारत में बिजली खर्च, आयात शुल्क और रख-रखाव लागत को देखते हुए, SSD पूरी तरह से नहीं बल्कि HDD-SSD हाइब्रिड आर्किटेक्चर ही व्यावहारिक विकल्प हो सकता है।