Higgsfield का नया AI टूल “Product-to-Video” बदलेगा फिल्म और ऐड इंडस्ट्री का खेल

AI की दुनिया तेजी से बदल रही है और अब वीडियो प्रोडक्शन इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं रही। हाल ही में Higgsfield नाम की कंपनी ने “Product-to-Video” नाम का एक नया AI टूल लॉन्च किया है, जो वीडियो बनाने और उनमें प्रोडक्ट्स को शामिल करने के तरीके को पूरी तरह बदल सकता है। यह टूल इतना एडवांस है कि किसी भी प्रोडक्ट को वीडियो में ऐसे इंटिग्रेट किया जा सकता है जैसे वह असली सेट पर मौजूद हो और एक्टर्स उसके साथ नैचुरली इंटरैक्ट कर रहे हों।

इस टूल का लाइव डेमो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सामने आया, जहां एक वीडियो में दिखाया गया कि कैसे एक मॉडल रेड ड्रेस से ब्लैक लेदर जैकेट में ट्रांजिशन करती है और फिर एक लग्जरी हैंडबैग के साथ इंटरेक्ट करती है। खास बात यह है कि ये सबकुछ AI द्वारा जेनरेट किया गया था और देखने में बिल्कुल असली जैसा लग रहा था।

फिल्म और ऐड इंडस्ट्री के लिए गेम-चेंजर

आज के समय में ऐड प्रोडक्शन और फिल्म शूटिंग पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। बड़े सेट्स, महंगे स्टूडियोज़ और लंबे रीशूट्स इस प्रोसेस को और कॉस्टली बना देते हैं। लेकिन Higgsfield का नया “Product-to-Video” टूल इन सभी झंझटों को खत्म कर सकता है। अब किसी भी ब्रांड का प्रोडक्ट आसानी से वीडियो में डाला जा सकता है और उसे प्रमोट करने के लिए महंगी शूटिंग की ज़रूरत नहीं होगी।

यह टूल AI मॉडल्स जैसे Veo 3, Seedance और MiniMax का इस्तेमाल करता है, जिसकी वजह से वीडियो आउटपुट बहुत रियलिस्टिक और हाई-क्वालिटी मिलता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, MiniMax-Hailuo-02 मॉडल ने Google के Veo 3 को भी कई बेंचमार्क्स में पीछे छोड़ दिया है।

ब्रांड्स और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए फायदा

Higgsfield का यह टूल खासतौर पर उन ब्रांड्स के लिए फायदेमंद होगा जो एडवर्टाइजिंग पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते। छोटे बिजनेस और स्टार्टअप्स भी इस AI टूल का इस्तेमाल करके किफायती दामों पर प्रोफेशनल-लेवल वीडियो बना सकते हैं।

इसके अलावा, कंटेंट क्रिएटर्स और यूट्यूबर्स के लिए भी यह टूल किसी वरदान से कम नहीं है। बिना महंगे कैमरे या स्टूडियो सेटअप के, वे अपने प्रोडक्ट रिव्यू और स्पॉन्सर्ड वीडियो को अगले लेवल पर ले जा सकते हैं।

क्या पारंपरिक फिल्म इंडस्ट्री को खतरा?

AI टूल्स की तेजी से बढ़ती क्षमता फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी भी है। अगर Higgsfield जैसे टूल्स ने ज्यादा पॉपुलैरिटी हासिल कर ली, तो पारंपरिक फिल्म स्टूडियोज़ और ऐड एजेंसियों की मांग कम हो सकती है। बड़े बजट वाली शूटिंग्स की जगह AI जेनरेटेड वीडियो ले सकते हैं, जिससे पूरी इंडस्ट्री का स्ट्रक्चर बदल सकता है।

हालांकि, कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये टूल्स पूरी तरह से फिल्म इंडस्ट्री को खत्म नहीं करेंगे, बल्कि उसे और एडवांस बनाएंगे। डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स के पास ज्यादा क्रिएटिव आज़ादी होगी और रीशूट्स या प्रोडक्शन डिले जैसी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।

निष्कर्ष

Higgsfield का “Product-to-Video” AI टूल सिर्फ एक टेक्नोलॉजी अपग्रेड नहीं बल्कि एक इंडस्ट्री डिसरप्शन है। यह फिल्म, ऐड और कंटेंट क्रिएशन के नियमों को बदलने वाला है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह टूल पारंपरिक स्टूडियो सिस्टम को कितना चैलेंज करता है और क्या वाकई यह AI वीडियो प्रोडक्शन का भविष्य बन सकता है।