भारत बन रहा है Global AI Data Centre Hub: बड़े निवेश, नए प्रोजेक्ट्स और भविष्य की तैयारी

भारत आज AI और क्लाउड कम्प्यूटिंग की दुनियाभर में बढ़ती मांग के बीच अपनी स्थिति एक प्रमुख AI डेटा सेंटर हब के रूप में आकार ले रहा है। Moody’s Analytics की रिपोर्ट कहती है कि जहां वैश्विक निवेश में गिरावट आ रही है, वहीं AI-इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश ज़ोर पकड़ रहा है, और भारत, सिंगापुर तथा मलेशिया जैसे देश लागत, सरकार नीतियों और प्रतिभा पूल के कारण आकर्षक हो रहे हैं।

Deloitte की रिपोर्ट बताती है कि 2030 तक भारत को AI-डेटा सेंटर्स के लिए लगभग 45-50 मिलियन sq ft अतिरिक्त रियल एस्टेट की ज़रूरत पड़ेगी, साथ में 40-45 TWh बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। विशाल निवेश के उदाहरण हैं NTT DATA का हैदराबाद में Rs 10,500 करोड़ का AI डेटा सेंटर क्लस्टर प्रोजेक्ट, जिसमें लगभग 400 MW डेटा सेंटर क्षमता होगी और करीब 25,000 GPUs का उपयोग होगा।

इसी तरह, Raipur (नवा रायपुर), छत्तीसगढ़ में पहला AI-बेस्ड डेटा सेंटर पार्क बनने जा रहा है जो शुरुआती चरण में 5 MW के साथ शुरू होगा और बाद में 150 MW तक का विस्तार होगा। भारत के डेटा सेंटर उद्योग की स्थापित क्षमता 1,263 MW के आसपास है (2025 के अप्रैल तक), और यह अनुमान है कि ये संख़्या 2030 तक तीन-गुना होने की संभावना है। इसके पीछे बहुत सी वजहें हैं: बढ़ती AI-आधारित एप्लिकेशन की मांग, क्लाउड सेवाओं का विस्तार, डेटा स्थानीयकरण (data localisation) नीतियाँ, बेहतर राज्य-स्तरीय प्रोत्साहन नीति, और कुशल प्रतिभा।

लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं: बिजली की स्थिर आपूर्ति, ग्रिड क्षमता, ऊर्जा लागत, ठंडा करने (cooling) के समाधान, पर्यावरणीय प्रभाव, भूमि उपलब्धता और नीति स्पष्टता। जैसे कि NITI Aayog ने राज्यों से कहा है कि “land-only mindset” नहीं अपनाया जाना चाहिए बल्कि पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर, शक्ति, कनेक्टिविटी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों पर ज़ोर होना चाहिए।

कुल मिलाकर ये प्रोजेक्ट्स यह संकेत दे रहे हैं कि भारत न सिर्फ अपने डेटा केंद्रों की संख्या बढ़ा रहा है बल्कि AI-वर्कलोड्स (training, inference), GPU-क्लस्टर्स और हाई-परफॉरमेंस कम्प्यूटिंग (HPC) सुविधाएँ विकसित करने की दिशा में भी अग्रसर है। यदि ये निवेश और नीति सहयोग सही तरह से आगे बढ़े, तो भारत भविष्य में global AI डेटा सेंटर नेटवर्क में एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन सकता है, जो न सिर्फ घरेलू ज़रूरतों बल्कि अंतरराष्ट्रीय AI सेवाओं के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराएगा।

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