प्रकृति में झुंड (swarm) जैसे पक्षियों के झुंड, मछलियों के स्कूल, मक्खियों की टोलियाँ आदि में coordination देखना आम बात है — इनमें हर एक जीव बहुत सरल नियमों का पालन करता है- जैसे कि अपने पड़ोसियों की दिशा देखना, दूरी बनाए रखना, और गति मिलाना-लेकिन मिलकर जटिल, सुंदर और उपयोगी व्यवहार उत्पन्न करते हैं। आज AI और Robotics शोधकर्ता भी इन्हीं नियमों से प्रेरणा लेकर Robot Swarms बना रहे हैं, ताकि कई रोबोट मिलकर बेतरतीब वातावरण में बिना किसी केंद्र-नियंत्रण (central controller) के काम कर सकें। उदाहरण के लिए, एक लेटेस्ट शोध ने दिखाया है कि जमीन पर चलने वाले रोबोट सिर्फ अपने कैमरे (vision) से, किसी external communication के बिना, मिलकर एक फ्लोक (flok-जैसे झुंड) बना सकते हैं, टकराव से बचते हुए और स्लॉट अनुसार दिशा-निर्धारण करते हुए।
समंदर के अंदर भी ऐसी शोध प्रगति हो रही है। “Blueswarm” नामक प्रोजेक्ट में छोटे underwater रोबोट पूरी तरह से decentralized तरीके से काम करते हैं – उनका उद्देश्य है कि रोबोट 3D space में खुद-से मिल बाँट कर तैरें, समन्वय करें और सर्च/फॉर्मेशन टास्क निभाएँ, बिना बाहरी GPS या बड़े नियंत्रक के। ([Science][2]) स्वार्म रोबोटिक्स की मुख्य विशेषताएँ हैं local sensing (पड़ोस के रोबोट्स की स्थिति देखना), simple interaction rules (जैसे दूरी बनाये रखना, दिशा मिलाना), और emergence — यानी कई छोटे निर्णय मिलकर एक बड़े व्यवहार बनता है जो जटिल समस्या हल कर सकता है।
AI-coordination के लिए प्रयुक्त कुछ algorithms और तकनीकें– जैसे Ant Colony Optimization (फेरोमोन स्मृति जैसी), Particle Swarm Optimization (पक्षियों की flocking से प्रेरित), और Firefly meta-heuristic आदि–यह सब स्वार्म रोबोट्स को निर्धारित मार्ग खोजने, बाधाएँ (obstacles) से बचने, क्षेत्र आवंटन (area coverage) और खोज-बीन (search and rescue) जैसे कार्यों में सक्षम बनाते हैं। उदाहरण के लिए जंगल या खाँदी इलाकों में pollution स्रोत खोजने-और-साफ़ करने (cleanup) के लिए bio-inspired aggregation और pheromone tracking के तंत्र उपयोग हो रहे हैं।
यह प्रवृत्ति AI और Swarm Robotics के लिए बहुत ही बड़ी संभावना है क्योंकि ये सिस्टम “resilient” होते हैं – यदि कुछ रोबोट खराब हो जाएँ, तो बाकी काम जारी रख सकते हैं; “scalable” होते हैं – swarm का आकार बढ़ाने पर coordination टूट नहींता; और “dynamic environments” में adapt कर सकते हैं जहाँ बदलाव होते रहते हों। उदाहरण के लिए vision-only swarm रोबोट मॉडल ने सीमित दृश्य क्षेत्र और संकीर्ण जगहों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।
लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं: रोबोट्स के लिए कम बिजली खपत करना ज़रूरी है क्योंकि बैटरी सीमाएँ होती हैं; कैमरा/सेन्सर्स की lag-time और noise से सही जानकारी नहीं मिलती; कई रोबोट्स में स्थानिक मुद्दे (localization), obstacle detection, और 3D संचार की समस्या होती है; और simulation से निकल कर असली दुनिया में व्यवहार ठीक काम करना मुश्किल होता है क्योंकि पर्यावरण बहुत बदलता है।
भविष्य की दिशा में, शोधकर्ता नए मॉडल्स बना रहे हैं जो “implicit coordination” जैसे पहलुओं पर काम करते हैं-जहाँ रोबोटस आराम से अपने आसपास के परिवेश और पड़ोसियों के व्यवहार से सीख कर प्रतिक्रिया दें, बजाय इसके कि केंद्रीय नियंत्रण या बड़ी मात्रा में संदेशों के आदान-प्रदान पर निर्भर हों। साथ ही underwater या aerial swarm (पानी/हवा में तैरने/उड़ने वाले स्वार्म) की समस्याएँ ज़्यादा जटिल हैं, पर वहाँ भी प्रकृति से प्रेरित तकनीकें आगे बढ़ रही हैं।
NATURE-INSPIRED ROBOT SWARMS JUST LEVELED UP
— Mario Nawfal (@MarioNawfal) September 11, 2025
Schools of fish. Murmurations of starlings. Now: robots that move like them – no leader, no central command.
Scientists cracked a new framework for swarm intelligence, embedding “curvity" – a charge-like property – directly into the… https://t.co/9sFpOS5LRJ pic.twitter.com/VyMaofyFCD
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