NHAI Drones & AI Highway Monitoring: राजमार्गों की निगरानी में नई टेक्नोलॉजी की भूमिका

भारत में राजमहलों (National Highways) की सुरक्षा, रख-रखाव और विकास को बेहतर बनाने के लिए NHAI (National Highways Authority of India) ने अब ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। यह कदम सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को तेज करने का नहीं है, बल्कि पारदर्शिता, निगरानी और शिकायतों के निवारण को भी सुधारने का है।

क्या है यह सिस्टम?

  1. ड्रोन सर्वे / वीडियो रिकॉर्डिंग
  • NHAI ने यह अनिवार्य कर दिया है कि सभी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं (Development, Construction, Operation & Maintenance) के हर महीने ड्रोन वीडियो रिकॉर्डिंग हो।
  • ये वीडियो रिकॉर्डिंग ‘Data Lake’ नामक पोर्टल पर अपलोड होती हैं जहाँ पिछले महीने और इस महीने की तुलना की जाती है।
  1. AI / ML-आधारित विश्लेषण (Analysis)
  • ड्रोन से ली गई तस्वीरें और वीडियो AI/ML एल्गोरिद्म द्वारा विश्लेषण किए जाते हैं ताकि अतिक्रमण (encroachments), कार्य में देरी, असामान्य बदलाव आदि की पहचान हो सके।
  • DAMS (Drone Analytics Monitoring System) जैसे सिस्टम्स से इन तस्वीरों को डैशबोर्ड पर दिखाया जाता है।
  1. निवारण और अनुपालना (Enforcement & Compliance)
  • यदि सर्वे में अतिक्रमण या अन्य बाधा मिलती है, तो संबंधित जिला प्रशासन/अधिकारी को सूचित किया जाता है। फिर उन्हें हटाने की कार्रवाई होती है।
  • साथ ही यह प्रक्रिया अनुबंध (contract), निरीक्षण (supervision), और प्रगति (progress) रिपोर्टिंग में उपयोगी होती है।

इस पहल के लाभ

लाभविवरण
तेज़ पहचान और कार्रवाईड्रोन से तुरंत तस्वीरें मिलती हैं, AI से विश्लेषण → अतिक्रमण या अवरोध आयडेंटिफाय होते ही कार्रवाई संभव है।
पारदर्शिता (Transparency)प्रगति वीडियो, रिकॉर्डेड वीडियो और डेटा उपलब्ध होता है, जिससे कर्मचारी, नागरिक, और न्यायालय / आर्बिट्रल ट्रायब्यूनल में साक्ष्य के तौर पर काम आता है।
समय व लागत बचतमैन्युअल सर्वे और निरीक्षण से कहीं कम समय लगता है; बीच-बीच में की जाने वाली गलतियाँ घटती हैं।
मानक बनाना (Standardization)पूरे नेटवर्क में समान प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिससे क्वालिटी नियंत्रण और रिपोर्टिंग बेहतर होती है।
प्रदूषण और रोक-टोक कम होनाकार्यस्थल पर ज़्यादा ट्रैफिक नियंत्रण की जरूरत कम होगी क्योंकि ड्रोन से सूचना समय रहते मिलती है।

चुनौतियाँ और सुधार की ज़रूरतें

  • डेटा पहचान में गलती: कभी-कभी AI मॉडल गलत-गलत ऑब्जेक्ट्स को अतिक्रमण कह सकते हैं (जैसे सड़क किनारे खड़ी ट्रक, सामग्री) – ये ground-verification से ठीक होता है।
  • गोपनीयता (Privacy) और कानून-नियम: ड्रोन फिल्मांकन के दौरान नागरिकों की गोपनीयता कैसे सुनिश्चित होगी? निगरानी की सीमाएँ क्या होंगी?
  • तकनीकी संसाधन और प्रशिक्षण: ड्रोन ऑपरेटर, AI मॉडल वाले पार्श्व, और सर्वर / नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर को मेनटेन रखना ज़रूरी है।
  • स्थिरता (Consistency): कुछ राज्यों में यह प्रक्रिया सुचारु है, लेकिन सभी क्षेत्रों में अभी-भी समान स्तर की गति नहीं मिली है।

वर्तमान स्थिति और केस स्टडीज

  • महाराष्ट्र में करीब 1,000+ अतिक्रमण (truck parked, निर्माण सामग्री, अस्थायी दुकानें आदि) ड्रोन + AI की मदद से पहचाने गए और ज़्यादातर हटा दिए गए।
  • इंदौर (Indore Division) में अलग-अलग राष्ट्रीय राजमार्गों पर करीब 360 किमी की ड्रोन सर्वे हुई जिसमें लगभग 1,000 अतिक्रमण पाए गए।
  • Marvel Geospatial नाम की कंपनी ने लगभग 31,316 किमी राजमार्गों पर ड्रोन सर्वे किया है, ४K वीडियो, GPS डेटा, समय-स्थल (timestamp, chainage) आदि के साथ, जिसे NHAI Data Lake पर अपलोड किया गया है।

आगे क्या किया जा सकता है?

  • AI मॉडलों को और बेहतर बनाना: ज़्यादा training डेटा, विभिन्न मौसम / रोशनी / ट्रैफिक स्थिति आदि में परीक्षण।
  • जन-जागरूकता बढ़ाना: स्थानीय लोगों को बताना कि अतिक्रमण क्यों हानिकारक है; शिकायतों के लिए आसान चैनल देना।
  • नीति बेहतर करना: ड्रोन उड़ानों की अनुमति-नियम, गोपनीयता कानून इत्यादि स्पष्ट करना।
  • अन्य तकनीकों के साथ संयोजन: भारी-डाटा कैमरे, इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, ANPR etc. से मिलकर ज़्यादा सुदृढ़ परिणाम।

निष्कर्ष

NHAI की यह पहल – ड्रोन + AI का इस्तेमाल – भारत में राजमार्गों की देखभाल (monitoring), अतिक्रमण नियंत्रण और विकास प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालाँकि सुधार की गुंजाइश बनी हुई है, लेकिन जैसे-जैसे यह प्रक्रिया विभिन्न राज्यों और राजमार्गों पर व्यापक रूप से लागू होगी, आम जनता को बेहतर सड़कों, कम देरी और बेहतर सुरक्षा अनुभव होगा।