रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक नए और अप्रत्याशित मोड़ पर पहुंच चुका है। यूक्रेन की खुफिया एजेंसी SBU ने हाल ही में “Operation Web” नामक एक गुप्त और साहसी मिशन को अंजाम दिया, जिसकी योजना 18 महीनों से बनाई जा रही थी। इस ऑपरेशन के अंतर्गत यूक्रेन ने रूस की धरती पर लगभग 4000 किलोमीटर अंदर तक हमला करते हुए रूसी एयरबेस पर छिपे हुए FPV ड्रोन के माध्यम से बड़ी क्षति पहुँचाई है।
इस ऑपरेशन की सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि ड्रोन हमलों के लिए इस्तेमाल किए गए उपकरण नकली मालवाहक ट्रकों के अंदर छिपाए गए थे। इन ट्रकों को रूस के एयरफील्ड्स के पास पहुँचाया गया और वहीं से ड्रोन लॉन्च किए गए। इस तरह की गुप्त रणनीति ने रूस को चौंका दिया और यूक्रेन को रणनीतिक बढ़त दिलाई। SBU और defence-blog.com की रिपोर्ट के अनुसार इस हमले में रूस के कुल 41 रणनीतिक बमवर्षक विमानों को नष्ट या क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिनमें Tu-95 और Tu-22M3 जैसे उच्च-स्तरीय युद्धक विमान शामिल हैं।
इस ऑपरेशन को सीधे यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के निरीक्षण में अंजाम दिया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह मिशन सिर्फ एक सैन्य हमला नहीं था, बल्कि यूक्रेन की युद्धनीति का एक बड़ा हिस्सा था। रूस के अंदर इतने भीतर तक जाकर हमला करना इस बात को दर्शाता है कि यूक्रेन अब केवल रक्षा नहीं कर रहा, बल्कि हमलावर भूमिका भी निभा रहा है।
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Newsweek की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, आधुनिक युद्ध में सस्ते, लचीले और घातक FPV ड्रोन की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। इन ड्रोनों की लागत बहुत कम होती है लेकिन प्रभाव बहुत बड़ा होता है। यूक्रेन ने इस तकनीक का इस्तेमाल रूस की लॉजिस्टिक कमजोरियों को भांपकर किया और उसे उसी की ज़मीन पर भारी नुकसान पहुँचाया। ड्रोन को ट्रकों के अंदर छिपाकर एयरफील्ड्स के पास पहुँचाना एक ऐसा तरीका था, जो पारंपरिक खुफिया प्रणाली से पकड़ में नहीं आ पाया।
सेवरोमोर्स्क और मुरमान्स्क जैसे इलाके, जहाँ ये हमले हुए, रूस के सामरिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माने जाते हैं। यहां रूस के सबसे शक्तिशाली बमवर्षक विमान और नौसेनिक ठिकाने मौजूद हैं। यदि इन हमलों की पुष्टि होती है, तो यह रूस की सैन्य शक्ति के लिए एक बड़ा झटका माना जाएगा। रूस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह घटना व्यापक चर्चा का विषय बन चुकी है।
“Operation Web” यह दर्शाता है कि युद्ध अब परंपरागत हथियारों या सीमाओं तक सीमित नहीं रहा। तकनीक, रणनीति और सूचना तंत्र के सहारे छोटे देश भी बड़ी सैन्य शक्तियों को चुनौती दे सकते हैं। यह ऑपरेशन यूक्रेन की तकनीकी और खुफिया क्षमता का उदाहरण है, और साथ ही यह दुनिया को यह भी दिखाता है कि युद्ध अब ड्रोन, AI और रणनीतिक लॉजिस्टिक्स के दौर में प्रवेश कर चुका है।
इस घटना ने रूस-यूक्रेन युद्ध को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है, जहाँ अब कोई भी क्षेत्र सुरक्षित नहीं माना जा सकता। भविष्य में इस प्रकार की और भी तकनीकी चालों की आशंका बनी हुई है, जिससे युद्ध और भी जटिल हो सकता है।
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