2025 में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने अब एक खतरनाक मोड़ ले लिया है। सोशल मीडिया पर वायरल एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने अपने परमाणु हथियारों को हाई अलर्ट पर रख दिया है। अमेरिकी विश्लेषक जिम फर्ग्यूसन की X पोस्ट में दावा किया गया है कि रूस ने Oreshnik मिसाइल सिस्टम समेत अपने अन्य स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर फोर्सेस को तैयार रहने का आदेश दिया है।
हालांकि यह रिपोर्ट अभी तक आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अगर यह सही है, तो यह 21वीं सदी के सबसे खतरनाक परमाणु संकट की शुरुआत हो सकती है। इस घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब यूक्रेन ने रूस के अंदर गहराई तक पहुंचकर हमले किए, जिनमें कथित तौर पर ड्रोन स्ट्राइक से कई रणनीतिक बमवर्षक विमान तबाह किए गए।
इन हमलों के जवाब में रूस ने Iskander मिसाइलों से यूक्रेनी क्षेत्रों पर जवाबी हमला किया। लेकिन सबसे बड़ी चिंता तब सामने आई जब रूस ने अपने RS-26 Rubezh इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) Oreshnik को सक्रिय कर दिया। यह मिसाइल छह वारहेड्स और सबम्यूनिशन से लैस होती है, जो इसे इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल बना देता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह वही मिसाइल है जिसका पहली बार नवंबर 2024 में इस्तेमाल किया गया था — तब यूक्रेन के ड्नीप्रो स्थित PA Pivdenmash फैक्ट्री पर “डमी” वारहेड्स से हमला किया गया था। इसने रूस की ताकत का एक संकेत भेजा था, मानो वह कहना चाहता हो कि “हम कर सकते हैं, लेकिन अभी नहीं कर रहे।”
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अब जबकि रूस ने इस सिस्टम को अलर्ट पर रख दिया है, यह सीधा संकेत हो सकता है कि वह अब मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने या फिर अगला बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। कई विश्लेषक इस स्थिति की तुलना 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट से कर रहे हैं, जहां दुनिया एक परमाणु युद्ध की दहलीज पर खड़ी थी।
सवाल यह उठता है कि क्या यह केवल रणनीतिक दबाव है या कोई वास्तविक खतरा? रूस की यह प्रतिक्रिया न केवल यूक्रेन, बल्कि NATO और अमेरिका के लिए भी एक स्पष्ट चेतावनी मानी जा रही है। खासतौर पर ऐसे समय में जब रूस अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तेजी से अलग-थलग पड़ रहा है और आर्थिक दबाव भी झेल रहा है।
वहीं, यूक्रेन लगातार रूस के अंदर गहरे हमले कर रहा है — चाहे वो ड्रोन हो या साइबर अटैक। इससे यह साफ है कि युद्ध अब सिर्फ़ सीमा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके आयाम बदल रहे हैं। दोनों पक्ष तकनीक और सामरिक रणनीति में नई ऊंचाइयों तक जा रहे हैं।
रूस का यह परमाणु अलर्ट न केवल यूरोप के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। जब एक परमाणु शक्ति इस हद तक जाती है कि वह अपने सबसे खतरनाक हथियारों को तैयार कर ले, तब यह केवल युद्ध नहीं — बल्कि सभ्यता के अस्तित्व का सवाल बन जाता है।
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अभी तक कोई स्पष्ट पुष्टि नहीं है कि रूस वाकई हमले की तैयारी कर रहा है या केवल जवाबी दबाव बना रहा है। लेकिन इतिहास गवाह है कि गलतफहमियां ही बड़े युद्धों की जड़ बनती हैं।
अब दुनिया की निगाहें संयुक्त राष्ट्र, NATO और अमेरिका की अगली चाल पर टिकी हैं। क्या यह सिर्फ़ एक संकेत था या वाकई आने वाले दिनों में कोई खतरनाक मोड़ आएगा?
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