Air India की अहमदाबाद-लंदन उड़ान AI171 का हादसा 12 जून 2025 की दोपहर की सबसे बड़ी और दुखद खबर बन गया। टेकऑफ़ के कुछ ही पलों में Boeing 787 Dreamliner गिर गया — उड़ान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई और केवल एक व्यक्ति ही बच पाया। इस त्रासदी में सबसे खास और चौंकाने वाली बात यह है कि पूर्व गुजरात मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी इस हादसे में शिकार हो गए ।
अहमदाबाद से उड़ान भरने के बाद विमान ने लगभग 650 फीट की ऊँचाई पर अचानक उड़ान खो दी और B.J. Medical College के हॉस्टल परिसर में जा जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे के समय पायलट ने ‘Mayday’ सिग्नल भेजा, जिससे साफ जाहिर था कि विमान में तकनीकी खराबी थी । बचाव दलों में NDRF, IAF, BSF, NSG ने तुरंत काम शुरू किया और ब्लैक बॉक्स भी बरामद हो गया।
राजनीतिक जगत के प्रतिष्ठित नेता के तौर पर विजय रूपाणी का विमान में होना पूरे गुजरात और देशभर में सुर्खियों का केंद्र बन गया। रूपाणी सचमुच 1206 के अपने पसंदीदा अंक को अपनी गाड़ी के नंबर प्लेट में रखते थे — जो कि आज मृत्यु की तारीख भी बन गई: 12-06-2025 । उनके निधन से बीजेपी सहित कई राजनीतिक दलों ने गहरा शोक व्यक्त किया और गुजरात में तीन दिनों के राजकीय शोक का ऐलान हुआ ।
रूपाणी की बेटी अंजली रूपाणी इंग्लैंड में थीं, वहीं उनका दौरा लुुधियाना के उपचुनाव की जिम्मेदारी के चलते टला था । अचानक इस हादसे ने उनके परिवार और राजनीतिक समर्थकों के बीच का मानसिक संतुलन हिला दिया। गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत राहत अभियान की समीक्षा की और एयर इंडिया तथा DGCA को जांच के निर्देश दिए ।
विजय रूपाणी गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 2016 से 2021 तक राज्य की बागडोर संभाली थी। उनकी राजनीतिक यात्रा रंगून (म्यांमार) से शुरू होकर रामनगर राजकोट तक फैली थी, और वो ABVP और RSS से जुड़े रहे । उनका शांत स्वभाव, निर्णयकर्ताओं वाली छवि, और राज्य में कई विकास परियोजनाओं के लिए जाना जाता था।
उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में चिंता की लहर है कि क्या भविष्य में ऐसे नेता की सुरक्षा के लिए विमानों की सुरक्षा जांच और protocols में बदलाव होंगे। देशभर में विमान सुरक्षा को लेकर एक नई बहस शुरू हो चुकी है, जिसमें DGCA द्वारा कड़े safety checks और पायलट training पर जोर देने की मांग की जा रही है।
इस हादसे में आये सबसे बड़े झटके में आश्चर्य की बात यही रही कि कोई टाइमिंग नहीं थीं — न कोई पूर्व चेतावनी, न किसी तरह का पायलट error का इशारा सामने आया। केवल ब्लैक बॉक्स की जांच और तकनीकी रिपोर्टों के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि हादसे के समय क्या गलत हुआ।
बेशक विजय रूपाणी के निधन से गुजरात और भारतीय राजनीति को एक बड़ा नुकसान हुआ है, लेकिन साथ ही यह हादसा विमान यात्रा के मानकों पर भी सवाल खड़ा कर गया है। NDRF और सरकारी तंत्र को तत्काल कार्यवाही करना पड़ी, और राहत कार्य के साथ-साथ जांच प्रक्रिया भी तेज़ी से चालू कर दी गई है।
आज पूरे राज्य में विजय रूपाणी को श्रद्धांजली दी जा रही है, और उनके समर्थकों का मानना है कि उनका काम और व्यक्तित्व आने वाले समय में भी प्रेरणा बने रहेगा। लेकिन यह हादसा सरकार, पार्टी और आम जनता को एक कठिन सच की याद दिलाता है — चाहे कोई कितना भी नामी हो, विमान यात्रा की सुरक्षा में चूक जानलेवा हो सकती है।
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