15 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस पहुंचे – यह वे पहले ऐसे भारतीय PM हैं जो इंदिरा गांधी के 1983 और अटल बिहारी वाजपेयी के 2002 दौरे के बाद द्वीप राष्ट्र आए। इस यात्रा का उद्देश्य कई मोर्चों पर भारत की रणनीति को नया रूप देना है।
मोदी का यह दौरा जस्ट G7 समिट से पहले बेहद रणनीतिक है। साइप्रस यूरोपीय संघ की रोटेटिंग राष्ट्राध्यक्षता 2026 में संभालने जा रहा है, ऐसे में भारत के यूरोपीय संपर्कों के विस्तार और व्यापार–निवेश को गति देने में यह कदम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है । दोनों देशों ने 2015 में EUR 76.5 मिलियन के व्यापार को 2016 की DTAA समझौते के साथ पुनःजीवित किया है, अब इस यात्रा को गहराई से व्यापार–निवेश के नए समझौतों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
साइप्रस के राष्ट्रपति नाइकस क्रिस्टोडुलाइडिस ने पीएम मोदी का तटीय लार्नाका एयरपोर्ट पर गर्मजोशी से स्वागत किया – यह संकेत है कि दोनों देशों के बीच भारत-यूरोपीय संबंधों की नई इबारत लिखी जा रही है।
मोदी–क्रिस्टोडुलाइडिस वार्ता का महत्वपूर्ण एजेंडा है India–Middle East–Europe Corridor (IMEC), एक व्यापार रास्ता जिसे भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को रेल और समुद्री मार्गों से जोड़ने की योजना है। साइप्रस आईएमईसी में एक केन्द्रीय नोड के रूप में काम कर सकता है, जिससे भारत–यूरोप सप्लाई चेन को सुएज़ नहर पर निर्भरता कम होगी।
बनीच के वक्त के राजनीतिक संकेत भी बहुत स्पष्ट हैं। यह दौर जब तुर्की और पाकिस्तान के बीच जोड़ मजबूत हो रहा है, वहां मोदी की साइप्रस यात्रा इस गठबंधन को संदेश देने वाली हो सकती है। Moneycontrol की रिपोर्ट बताती है कि भारत–तुर्की संबंधों में कॉरिडोर कृषि व्यापार से गिरावट आई है, वहीं साइप्रस के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत किया जा रहा है ।
इसके आलावा साइप्रस ने पाकिस्तान-प्रायोजित cross-border terrorism की कड़ी निंदा की है, जबकि तुर्की की EEZ दावे के चलते साइप्रस और ग्रीस का विरोध जारी है । इसकी वजह से साइप्रस–भारत साझेदारी का राजनीतिक – सुरक्षा महत्व और बढ़ गया है ।
साइप्रस के राजनीतिक समर्थन और UN स्तर पर भारत को NSG सदस्यता के लिए समर्थन जैसे मुद्दों पर मोदी की यात्रा समयबद्ध है। यह यात्रा इस बात का प्रदर्शन है कि भारत धोरण के साथ-साथ नैतिक और रणनीतिक सहयोग भी तलाश रहा है।
साइप्रस की वित्तीय सहमति और साइप्रस–भारत व्यापार इस्लिए बढ़ रहा है क्योंकि साइप्रस 2026 के EU अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा, जिससे भारत को ब्रुसेल्स में प्रभावी भूमिका हासिल होगी ।
मोदी ने विदेश दौरे की शुरुआत करते हुए ट्वीट किया कि साइप्रस का स्वागत दिल से हुआ, और उनका यह दौरा व्यापार, निवेश, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और इन्फ्रास्ट्रक्चर साझेदारी को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा ।
साइप्रस दौरे के दौरान मोदी कई पहलुओं पर ध्यान देंगे – व्यापार सम्मेलन, बिजनेस लीडर्स से मुलाकात, रक्षा और ऊर्जा संसाधनों पर चर्चा होगी । इसका असर अगले कुछ महीनों में G7 और EU के साथ भारत की भूमिकाओं और आवाज़ का विस्तार होगा।
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