15 जून 2025 की रात को ईरान ने “Operation True Promise 3” शुरू किया – यह बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन का व्यापक हमला था, जिसे इजराइल के खिलाफ एक बदले की कार्रवाई के रूप में अंजाम दिया गया। यह तीसरी बड़ी हुयी ऐसी प्रतिक्रिया है – इससे पहले अप्रैल 2024 में “True Promise 2”, और पहली बार 2006 में इसी नाम से ऑपरेशन हुआ था।
इस हमले के पीछे की बड़ी वजह है इजराइल का जून 2025 में चलाया गया “Operation Rising Lion”, जिसमें उसने ईरान के परमाणु-सैन्य ठिकानों पर एयरस्ट्राइक करके कई वरिष्ठ IRGC अधिकारियों सहित वैज्ञानिकों को निशाना बनाया था। ईरान ने इस हमले को अश्लील मानते हुए तुरंत कड़ा जवाब देने की चेतावनी दी थी।
“True Promise 3” ऑपरेशन में 100 के करीब बैलिस्टिक मिसाइल और दर्जनों ड्रोन लॉन्च किए गए थे, जो इजराइल के कई शहरों – जैसे तेल अवीव, हाइफा, रिशोन लेज़िओन, नज़रेथ आदि – की ओर भेजे गए। यह हमला ईजराइल-ईरान टकराव में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली – Arrow, Iron Dome, David’s Sling – ने हमले को रोकने के लिए कार्यवाही की, और अमेरिकी THAAD सिस्टम से मदद मिली। इसके बावजूद कुछ मिसाइलें जमीन तक पहुंचीं, जिससे तेल अवीव सहित अन्य इलाकों में नुकसान और सामान्य नागरिकों के घायल होने की खबर मिली । भारत के सामरिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कड़ी हमले की शुरुआत हो सकती है – आगे और मिसाइल हमलों की आशंका जताई जा रही है।
इसके अलावा, ईरान की वेबसाइट पर जारी वीडियो में मिसाइल लॉन्च के दृश्य और विस्फोट दिखाये गए – जिसमें इमोशनल और आत्मसंतुष्ट टिप्पणियाँ भी शामिल हैं । IRGC ने कहा कि यह हमला “ज़ायोनिस्ट शासन को बेबस करने” के मकसद से किया गया है, और कहा कि भविष्य में और भी ऐसे हमले होते रहेंगे।
यह सब 1979 के इस्लामी क्रांति के बाद शुरू हुए proxy-conflict का एक हिस्सा है, जो सत्तर के दशक से चल रहा है। अप्रैल 2024 के “True Promise” ऑपरेशन्स को आज भी एक historic मोड़ माना जाता है।
इजराइल का कहना है कि वह किसी भी तरह के मिसाइल हमले का सामना करने को तैयार है, लेकिन इस बार यह हमला सीमा पारकर नागरिक इलाकों तक पहुंचा, जिससे उन्हें “रेड लाइन पार हुई है” कह कर जवाब देने की चेतावनी दी गई।
जून 2025 के इस एक्शन से अब साफ़ है: इजराइल और ईरान के बीच विवाद सिर्फ proxy-war नहीं है – यह open-conflict में बदल रहा है। अमेरिका की भूमिका और किस तरफ झुकेगा, यह भी दुनिया की नजरे में है। यूएन समेत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, क्योंकि एक क्षेत्रीय संघर्ष का बढ़ना वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी गंभीर परिणाम ला सकता है।
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