साल 2025 की शुरुआत में इजराइल और गाजा के बीच जारी संघर्ष एक बार फिर दुनिया की नजर में आ गया है। हाल ही में एक सैटेलाइट इमेज में इजराइल के उत्तरी हिस्से में भारी तबाही दिखाई गई, जहां करीब 15% इमारतें क्षतिग्रस्त पाई गई हैं। यह नुकसान जनवरी 2025 की सैटेलाइट रिपोर्ट से सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि सीमा पार से होने वाले हमलों में उत्तरी इजराइल के रिहायशी इलाकों पर असर पड़ा है।
इन हमलों की तुलना अगर गाजा पट्टी से की जाए, तो वहां स्थिति और भी गंभीर है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, गाजा में अब तक करीब 92% घर या तो पूरी तरह तबाह हो चुके हैं या फिर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 4,36,000 रिहायशी इकाइयाँ प्रभावित हुई हैं, जो किसी भी युद्ध क्षेत्र में बेहद खतरनाक और दुखद आंकड़ा है।
यह फर्क दिखाता है कि जहां इजराइल को सीमित नुकसान हुआ है, वहीं गाजा में जनजीवन पूरी तरह तबाह हो चुका है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इजराइल की जनता पर कोई असर नहीं पड़ा। कई रिपोर्ट्स और फोटो में देखा गया है कि उत्तरी इजराइल के घरों, दुकानों और सार्वजनिक स्थलों पर मिसाइल हमलों के निशान हैं। आम नागरिक डर के साए में जी रहे हैं और कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है।
2023 में प्रकाशित एक स्टडी “Journal of Conflict Resolution” में कहा गया था कि अक्टूबर 2023 के बाद से इजराइल और फिलिस्तीन, दोनों ही क्षेत्रों में नागरिक इलाकों पर हमले तेज़ हुए हैं। इससे यह बात साफ होती है कि सिर्फ एक तरफ ही तबाही नहीं हो रही है, बल्कि दोनों ओर आम लोग इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।
हाल की X (पहले ट्विटर) पर वायरल हुई एक तस्वीर में देखा जा सकता है कि इजराइल के एक रिहायशी इलाके में मिसाइल गिरने से एक इमारत का बड़ा हिस्सा टूट गया है। सड़क पर मलबा बिखरा हुआ है और आसपास के घरों के शीशे टूटे हुए हैं। यह सब उस इलाक़े में हुआ जो पहले एक शांत रिहायशी कॉलोनी हुआ करता था।
गाजा में तबाही का स्तर इससे कहीं अधिक है। लगातार 15 महीनों से चल रहे संघर्ष में वहाँ के स्कूल, अस्पताल, बाजार और बिजली-पानी की व्यवस्था भी लगभग नष्ट हो चुकी है। कई लोग अस्थायी टेंटों में रहने को मजबूर हैं और खाने-पीने की चीजों की भारी कमी है।
इस पूरे मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी चिंता बढ़ती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और अन्य मानवीय संस्थाएं लगातार मदद पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से वह भी सीमित हो गई हैं। भारत समेत कई देशों ने इस क्षेत्र में शांति की अपील की है।
इन घटनाओं से यह बात साफ होती है कि युद्ध या संघर्ष किसी भी देश के लिए समाधान नहीं होता। दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है और आम जनता सबसे ज्यादा पीड़ित होती है। ऐसे में जरूरी है कि बातचीत और कूटनीति के रास्ते से समाधान की कोशिश हो, ताकि दोनों तरफ के मासूम लोगों की जान बचाई जा सके।
आज जब हम एक तरफ टेक्नोलॉजी और विकास की बात कर रहे हैं, तो दूसरी ओर ये घटनाएं हमें यह भी याद दिलाती हैं कि शांति और मानवता सबसे जरूरी है।
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