कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन 2025: वैश्विक मंच पर मोदी की दमदार उपस्थिति

कनाडा के कनानास्किस में 18 जून 2025 को हुए 51वें G7 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी ने वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को एक बार फिर उजागर किया। यह सम्मेलन G7 देशों – कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका – के साथ-साथ भारत, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और ब्राज़ील जैसे आमंत्रित देशों की उपस्थिति में हुआ।

इस महत्वपूर्ण मंच पर प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक दक्षिण (Global South) के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने विकासशील देशों की आवश्यकताओं, ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल ट्रांज़िशन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे विषयों पर भारत की प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया। मोदी का यह दौरा भारत की वैश्विक राजनीति में बढ़ती साख और कूटनीतिक सक्रियता का परिचायक है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन के इतर कई द्विपक्षीय मुलाकातें कीं। उन्होंने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग, मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाउम, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से विस्तृत चर्चा की। इन बैठकों में तकनीकी सहयोग, हरित हाइड्रोजन, कृषि नवाचार और क्रिटिकल मिनरल्स जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया।

यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय पर हुआ जब वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। ईरान-इज़राइल संघर्ष, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियाँ और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता ने चर्चा के केंद्र को प्रभावित किया। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत की उपस्थिति ने एक स्थायी, शांतिपूर्ण और सहकारी वैश्विक व्यवस्था की दिशा में मजबूत संकेत दिया।

G7 एजेंडा में ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियाँ, डिजिटल बदलाव और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर करना शामिल रहा। मोदी ने विशेष रूप से हरित ऊर्जा में भारत की उपलब्धियों और लक्ष्य साझा किए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत न केवल अपने लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करने की दिशा में काम कर रहा है।

कनानास्किस की सुंदर वादियों में स्थित यह सम्मेलन स्थल, जहां पिछली बार 2002 में G7 समिट हुई थी, अब एक बार फिर दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं की बैठक का साक्षी बना। इस बार भारत की उपस्थिति ने साबित किया कि अब वैश्विक चुनौतियों का समाधान बिना भारत की भागीदारी के अधूरा है।

मोदी की यह यात्रा वैश्विक सहयोग की भावना, सामूहिक नेतृत्व और साझा भविष्य की दिशा में भारत के संकल्प को दर्शाती है। भारत की विदेश नीति अब केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली भूमिका निभा रही है।

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Akshay Barman

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