जंगी की सीमा पर पाकिस्तान की आर्मी ने बनाया मोर्चा, गांववालों को बनाया ढाल

भारत-पाकिस्तान सीमा से सामने आई एक नई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सोशल मीडिया और ग्राउंड इंटेलिजेंस के अनुसार, पाकिस्तान की आर्मी ने जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती गांव (पाक अधिकृत क्षेत्र में) में मोर्चा बना लिया है।

जहां पहले खाली ज़मीन या बंकरों में पोस्टिंग की जाती थी, अब सेना आम नागरिकों के बीच स्थित घरों और खेतों के पास हथियारबंद तैनाती कर रही है।

आम नागरिकों को बनाया जा रहा ढाल

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना ने ग्रामीणों से जबरन उनके मकान खाली करवा लिए और वहां से स्नाइपिंग और मशीन गन तैनात कर दी हैं। कुछ घरों की छतों पर तो एंटी-एयरक्राफ्ट बंदूकें भी देखी गई हैं।

ये स्थिति ना सिर्फ खतरनाक है, बल्कि जिनेवा कन्वेंशन और मानवाधिकार कानूनों का सीधा उल्लंघन भी है।

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क्यों बना रही है पाकिस्तानी सेना ऐसा मोर्चा?

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना को डर है कि भारतीय सेना सर्जिकल स्ट्राइक या टारगेटेड ऑपरेशन कर सकती है। ऐसे में गांवों के बीच मोर्चा बनाने से उन्हें ये लगता है कि भारत जवाबी हमला नहीं करेगा क्योंकि आम नागरिकों की जान को खतरा होगा।

यह रणनीति काफी हद तक आतंकवादी संगठनों जैसे हिज्बुल्ला और हमास से मिलती-जुलती है, जो खुद को सिविलियनों के बीच छिपाकर युद्ध छेड़ते हैं।

भारत की सेना की प्रतिक्रिया

भारतीय रक्षा सूत्रों ने इस स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही है। सेना के अनुसार, यह पाकिस्तान की बौखलाहट है और वह अब आम नागरिकों को ढाल बनाकर युद्ध जैसे हालात पैदा करना चाहता है।

भारतीय पक्ष ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाने की तैयारी शुरू कर दी है।

अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहता है?

जिनेवा कन्वेंशन, जो युद्ध के समय आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं, साफ कहता है कि:

  • किसी भी सेना को आम आबादी के बीच मोर्चा नहीं बनाना चाहिए।
  • आम नागरिकों को ‘मानव ढाल’ की तरह इस्तेमाल करना युद्ध अपराध है।
  • सैन्य ठिकानों को नागरिक ढांचों में नहीं छिपाया जाना चाहिए।

पाकिस्तान का यह कदम सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और इस पर कार्रवाई की मांग उठाई जा रही है।

क्या है मानव ढाल (Human Shield) का मतलब?

मानव ढाल का मतलब है आम नागरिकों को युद्ध के दौरान जानबूझकर इस तरह रखना कि दुश्मन हमला न कर सके। यह न सिर्फ अनैतिक है बल्कि अंतरराष्ट्रीय अपराध भी है।

2006 में लेबनान में हिज्बुल्ला और 2023 में गाज़ा में हमास ने भी यही रणनीति अपनाई थी और उनकी निंदा की गई थी।

भारत को क्या करना चाहिए?

विशेषज्ञों की मानें तो भारत को निम्न कदम उठाने चाहिए:

  • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को तत्काल उठाना चाहिए।
  • संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों को रिपोर्ट भेजनी चाहिए।
  • कूटनीतिक दबाव से पाकिस्तान को मजबूर किया जाए कि वह आम नागरिकों को खतरे में न डाले।

किसी भी सैन्य कार्रवाई से पहले नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की रणनीति बनाई जाए।

निष्कर्ष

पाकिस्तान का यह कदम सिर्फ कायरता नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का खुला उल्लंघन है। आम नागरिकों को ढाल बनाकर सीमा पर मोर्चा बनाना युद्ध अपराध है। भारत को धैर्य से काम लेना होगा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे प्रमुखता से उठाकर पाकिस्तान को बेनकाब भी करना होगा।

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Akshay Barman

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