ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला? ट्रंप की नीतियों के बीच उठे सवाल

22 जून 2025 की सुबह से सोशल मीडिया पर एक खबर ने खलबली मचा दी – दावा किया गया कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, निशाना बनाए गए स्थान थे Fordow, Natanz और Esfahan – तीनों ईरान के मुख्य परमाणु कार्यक्रमों के अहम केंद्र हैं। हालाँकि, अभी तक इस हमले की कोई स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है। फिर भी हमे जोह भी पुष्टि हुई हैं, वह निचे दिए गए हैं।

ईरान और अमेरिका के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार की घटना का समय और इसके पीछे की संभावित रणनीति काफी चर्चा में है। डोनाल्ड ट्रंप की 2025 की राष्ट्रपति चुनावी रणनीति, ईरान पर पुराने बयानों, और इस हमले के बीच की कड़ी को लोग जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

ट्रंप ने 2025 में एक बार फिर दोहराया कि ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखने दिए जाएंगे।

और 2025 में व्हाइट हाउस की तरफ़ से यह भी साफ़ कहा गया कि “ईरान को कभी भी परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इस कथित हमले का मुख्य केंद्र था Fordow Enrichment Facility। यह स्थान 2009 में सामने आया था, जब ईरान ने खुद इसे IAEA को घोषित किया। रिपोर्ट्स के अनुसार IAEA 2023 Report, Fordow में ईरान यूरेनियम को 83.7% तक समृद्ध कर रहा था, जो कि हथियार बनाने के लिए खतरनाक स्तर है। लेकिन यह सुविधा ज़मीन से करीब 80 मीटर नीचे है, और इसे बंकर-भेदी हमलों से भी सुरक्षित माना जाता है।

इससे सवाल उठता है कि यदि हमला हुआ भी है, तो क्या वह वाकई इस बंकर को नुकसान पहुँचा सका? बिना किसी सैटेलाइट इमेज या अंतर्राष्ट्रीय पुष्टि के, इन दावों को पूरी तरह सच मानना मुश्किल है।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच ईरान-इज़राइल तनाव भी चरम पर है। BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल लगातार ईरान समर्थित गुटों पर हमले कर रहा है, और ईरान भी जवाबी रणनीति बना रहा है। इस माहौल में अमेरिकी दखल एक बड़ा जोखिम साबित हो सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले के बाद ट्वीट किया कि – “Now is the time for peace”, लेकिन यह बयान उनकी 2011 की आक्रामक नीति से पूरी तरह अलग है। कई विश्लेषक इसे एक राजनीतिक संतुलन की कोशिश मान रहे हैं – जहाँ ट्रंप एक तरफ़ क्षेत्रीय स्थिरता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सैन्य दखल भी करते दिखते हैं।

Lindsey Graham, जो कि ट्रंप के करीबी माने जाते हैं, अक्सर ईरान पर सैन्य कार्रवाई की पैरवी करते रहे हैं। ऐसे में यह भी संभव है कि ट्रंप प्रशासन अंदर ही अंदर दबाव में है, जिससे उनका रुख कभी “युद्ध” और कभी “शांति” की तरफ़ झुकता है।

दूसरी तरफ, IAEA और दूसरे अंतरराष्ट्रीय संस्थान अब तक चुप हैं। ऐसा लगता है कि या तो हमले की पुष्टि नहीं हो पाई है, या फिर कूटनीतिक स्तर पर मामला दबाया जा रहा है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि ईरान ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, जो दर्शाता है कि या तो नुकसान नहीं हुआ, या वह रणनीतिक तौर पर चुप है।

इस पूरे मामले से कुछ बातें साफ़ हैं:

  • ट्रंप प्रशासन एक बार फिर ईरान को लक्ष्य बनाकर चुनावी लाभ लेना चाह रहा है।
  • ईरान के बंकर इतने गहरे और सुरक्षित हैं कि सिर्फ़ हवाई हमलों से उनका नष्ट होना मुश्किल है।
  • परमाणु कार्यक्रम पर एक और संघर्ष क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।

फिलहाल, दुनिया की निगाहें सैटेलाइट इमेज और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। जब तक कोई विश्वसनीय स्रोत इस कथित हमले की पुष्टि नहीं करता, तब तक यह खबर एक संभावित सैन्य मनोवैज्ञानिक दबाव से ज़्यादा नहीं मानी जा सकती।

Akshay Barman

chalrahahai.com एक ऐसी वेबसाइट है जहाँ हम ज़िंदगी से जुड़ी बातें, कहानियाँ और अनुभव शेयर करते हैं। हमारा मकसद है लोगों को जानकारी देना, कुछ नया सिखाना और एक पॉज़िटिव सोच फैलाना।

View all posts by Akshay Barman

Leave a Comment