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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 24 मई 2025 को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। CBI ऑफिस के बाहर 65 वर्षीय पूर्व रेलवे कर्मचारी दिनेश मुर्मू ने CBI के ASI वीरेंद्र सिंह पर तीर-कमान से हमला कर दिया। यह हमला CCTV में रिकॉर्ड हुआ और तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
1993 की जांच, 2025 का बदला
सूत्रों के अनुसार, ASI वीरेंद्र सिंह ने 1993 में भारतीय रेलवे में हुई एक भ्रष्टाचार जांच में दिनेश मुर्मू को दोषी ठहराया था, जिससे उनकी नौकरी चली गई थी। तभी से मुर्मू इस घटना का बदला लेने के लिए मौके की तलाश कर रहे थे।
तीन दशक बाद उन्होंने वही अधिकारी खोज निकाला और उनके ऊपर हमला कर दिया — वो भी किसी बंदूक या चाकू से नहीं, बल्कि तीर-कमान से!
CCTV फुटेज ने किया खुलासा
हमले का वीडियो पास के एक CCTV कैमरे में कैद हुआ जिसमें साफ देखा गया कि मुर्मू ने कैसे बड़े आराम से अपना तीर निकाला और वीरेंद्र सिंह पर निशाना साधा। हालांकि, सुरक्षाकर्मी तुरंत हरकत में आए और हमलावर को पकड़ लिया गया।
पहले भी कर चुका है हमला
यह पहली बार नहीं है जब दिनेश मुर्मू ने किसी अधिकारी पर हमला किया हो। 2005 में उन्होंने दिल्ली में एक पुलिसकर्मी पर भी हमला करने की कोशिश की थी। उस समय उन्हें पकड़ लिया गया था, लेकिन सबूतों की कमी के चलते उन्हें रिहा कर दिया गया।
इससे साफ होता है कि मुर्मू की मानसिक स्थिति वर्षों से बदले की भावना से भरी हुई थी।
तीर-कमान: प्रतीकात्मक और सनकी हथियार
एक और बात जिसने सबका ध्यान खींचा, वो है हथियार का चयन। आज के आधुनिक युग में जहां बंदूक और चाकू आम हो चुके हैं, वहां तीर-कमान जैसे पुराने हथियार का इस्तेमाल एक मानसिक प्रतीक की तरह दिखता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ हमला नहीं था, बल्कि एक “ड्रामेटिक रिवेंज” था — जैसे फिल्मी सीन में होता है।
CBI और रेलवे की छवि पर असर
यह घटना CBI और भारतीय रेलवे की छवि पर भी सवाल उठाती है। एक अधिकारी द्वारा की गई जांच अगर किसी की जिंदगी बर्बाद कर देती है, तो यह संस्थान के फैसलों और न्याय प्रक्रिया पर जनता का भरोसा प्रभावित कर सकता है।
साथ ही यह भी दर्शाता है कि कुछ लोगों में जांच का असर सालों तक मानसिक रूप से बना रहता है, जो उन्हें हिंसात्मक कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है।
सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल
CBI जैसे हाई-सेक्योरिटी ऑफिस के बाहर तीर-कमान जैसे बड़े हथियार के साथ हमला होना सुरक्षा तंत्र की पोल खोलता है। क्या बुजुर्ग होने के कारण उसे नजरअंदाज किया गया? क्या सुरक्षा जांच पर्याप्त नहीं थी?
इन सवालों के जवाब अब CBI और पुलिस को देने होंगे।
जनता की प्रतिक्रिया
इस घटना पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी गई। कुछ लोग आरोपी की मानसिक स्थिति पर चिंता जता रहे हैं, तो कुछ इसे एक सोची-समझी साजिश बता रहे हैं।
कई लोगों ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार के मामलों में निष्पक्ष सुनवाई और पुनर्विचार की व्यवस्था होती, तो ऐसे हमले शायद नहीं होते।
निष्कर्ष
दिनेश मुर्मू द्वारा किया गया यह हमला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि हमारे न्याय और सामाजिक व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल है। यह दिखाता है कि वर्षों पुरानी घटनाएं भी कैसे किसी के दिल-दिमाग में घर कर लेती हैं, और अगर उन्हें समय पर समझा न जाए, तो नतीजे खतरनाक हो सकते हैं।
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