आज के समय में जब हर कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के बारे में बात कर रहा है, तो एक सवाल बहुत ज़रूरी हो जाता है – एआई कितने प्रकार का होता है और इनका असली मतलब क्या है? एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है: संकीर्ण एआई [narrow ai], सामान्य एआई [general ai] और सुपर इंटेलिजेंट एआई [super ai]। इन तीनों को समझने से यह स्पष्ट हो जाता है कि एआई किस स्टेज पर है, कितना आगे बढ़ चुका है और भविष्य में कहां तक जा सकता है।
सबसे पहले आता है आर्टिफिशियल नैरो इंटेलिजेंस यानी ANI, जिसे हिंदी में कृत्रिम संकीर्ण बुद्धिमत्ता कहा जाता है। यह वह एआई है जो आज हमारे जीवन में मौजूद है, जैसे कि Google Assistant, Siri, ChatGPT, YouTube Recommendations, ATM Fraud Detection और Amazon पर दिखने वाले प्रोडक्ट सुझाव। यह सिर्फ एक खास काम को करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है और उसी में तेज़ होता है। यह इंसानों की तरह सोचना नहीं जानता, सिर्फ उसे जो सिखाया गया है, वही करता है।
दूसरे नंबर पर आता है AGI यानी आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस, जिसे सामान्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहा जाता है। इसका मतलब है कि मशीन इंसानों की तरह सोचना, समझना, सीखना और खुद फैसले लेना सीख जाए। जैसे कि कोई एआई डॉक्टर की तरह इलाज कर सके, शिक्षक की तरह पढ़ा सके, लेखक की तरह कविता लिख सके और इंजीनियर की तरह डिजाइन भी कर सके। यह एआई अभी तक सिर्फ रिसर्च स्टेज में है। दुनिया की बड़ी कंपनियां जैसे OpenAI, Google DeepMind और Anthropic इस पर लगातार काम कर रही हैं। AGI को जब भी पूरी तरह विकसित कर लिया जाएगा, तब वह इंसानी समझ और रचनात्मकता के बराबर या शायद उससे आगे भी जा सकता है।
अब बात आती है तीसरे और सबसे पावरफुल प्रकार की – आर्टिफिशियल सुपर इंटेलिजेंस यानी ASI। यह एक ऐसा एआई होगा जो हर मायने में इंसानों से ज्यादा समझदार, तेज़, संवेदनशील और ताकतवर होगा। यह खुद से सीखने, सोचने और निर्णय लेने में सक्षम होगा, वो भी बिना किसी इंसानी मदद के। स्टेफन हॉकिंग और एलन मस्क जैसे विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर ASI पर कंट्रोल नहीं रखा गया, तो यह मानवता के लिए खतरा बन सकता है। हालांकि अभी ASI सिर्फ थ्योरी में है और इसका अस्तित्व वास्तविक दुनिया में नहीं है, लेकिन इस पर चर्चा लगातार हो रही है क्योंकि इसके विकसित होने की संभावना निकट भविष्य में देखी जा रही है।
एआई के इन तीनों प्रकारों को समझने के बाद यह साफ होता है कि एआई एक लंबी यात्रा पर है। Narrow AI आज हमारे आसपास हर जगह है, AGI पर दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों और कंपनियों का रिसर्च चल रहा है और ASI भविष्य का एक रोमांचक लेकिन खतरनाक सपना बन चुका है। इस बदलाव की सबसे खास बात यह है कि अब भारत भी इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत सरकार ने AI में काम करने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए हैं, और नई स्टार्टअप कंपनियां जैसे Sarvam AI, Neysa, और HCLTech इसमें अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
साथ ही यह भी ज़रूरी है कि जब हम एआई के विकास की बात करें, तो उसकी जिम्मेदारी और नैतिकता को नज़रअंदाज़ न करें। एआई को इस तरह से विकसित किया जाए कि वह मानवता की सेवा करे, न कि उसे नुकसान पहुंचाए। यही कारण है कि आज दुनिया के सबसे बड़े रिसर्च संस्थान और कंपनियां एआई से जुड़ी सुरक्षा और मानव-अनुकूलता को प्राथमिकता दे रही हैं।
अगर हम आने वाले 5 से 10 वर्षों की बात करें तो एआई का भविष्य सिर्फ तेज़ नहीं बल्कि पूरी तरह ट्रांसफॉर्मेशनल होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, ट्रांसपोर्टेशन, मीडिया और कृषि जैसे सभी क्षेत्रों में एआई का गहरा असर दिखेगा। लेकिन इन सबके साथ-साथ यह ज़रूरी है कि हम एआई के हर प्रकार को समझें और उसके उपयोग के पीछे छिपी ताकत और ज़िम्मेदारी को भी पहचानें।
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