AI कैसे काम करता है? | आसान शब्दों में समझिए पूरा प्रोसेस

आजकल हर जगह AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चर्चा हो रही है – चाहे वो ChatGPT हो, Google का Bard [Gemini] हो या फिर किसी स्मार्टफोन का वॉयस असिस्टेंट। लेकिन आम लोगों के मन में एक ही सवाल होता है: “AI असल में काम कैसे करता है?” यह तकनीक दिखने में जादू जैसी लगती है, लेकिन इसके पीछे बहुत ही वैज्ञानिक और तकनीकी सोच है।

AI को समझने के लिए सबसे पहले हमें यह समझना जरूरी है कि इंसान दिमाग से कैसे सोचता है। इंसान अनुभव से सीखता है, जानकारी को याद रखता है, पैटर्न पहचानता है और फिर निर्णय लेता है। ठीक उसी तरह, AI भी काम करता है – लेकिन मशीन के रूप में। इसमें मशीनों को इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि वे इंसानों जैसी बुद्धिमता दिखा सकें, जैसे सीखना, समझना, समस्या हल करना, और कभी-कभी भावनाओं जैसी चीजें भी दिखाना।

AI के काम करने की प्रक्रिया में सबसे पहला चरण होता है – डेटा। हर AI सिस्टम को काम करने के लिए डेटा की ज़रूरत होती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी AI को बिल्ली और कुत्ते में फर्क करना सिखाना है, तो उसे हजारों बिल्ली और कुत्ते की तस्वीरें दिखाई जाती हैं। ये तस्वीरें AI को “ट्रेनिंग डेटा” के रूप में दी जाती हैं, जिससे वह पैटर्न सीखता है – जैसे कान का आकार, आँखों की बनावट या शरीर का ढांचा।

इसके बाद AI एल्गोरिदम यानी गणितीय फॉर्मूलों की मदद से इन पैटर्न को सीखता है। इस प्रक्रिया को मशीन लर्निंग कहा जाता है, जिसमें कंप्यूटर खुद से सीखता है और अनुभव के आधार पर भविष्य में बेहतर निर्णय लेने लगता है। अगर यह सीखने की प्रक्रिया ज्यादा गहराई तक जाती है, तो इसे डीप लर्निंग कहते हैं – जहां AI ‘न्यूरल नेटवर्क’ का उपयोग करता है, जो इंसानी दिमाग की नकल करता है।

AI को जब एक बार ट्रेनिंग मिल जाती है, तो उसे टेस्टिंग डेटा के साथ जांचा जाता है, ताकि पता चल सके कि उसने सच में सही सीखा है या नहीं। उदाहरण के लिए, अगर आप उसे एक नई बिल्ली की फोटो दिखाएं जो ट्रेनिंग में नहीं थी, और वह पहचान ले कि यह बिल्ली है, तो समझिए कि AI ठीक से काम कर रहा है।

इसके बाद आता है रियल-टाइम उपयोग – जैसे आप ChatGPT से कुछ पूछते हैं, तो वह आपके प्रश्न को पहले समझता है (natural language processing), फिर उसके लिए सीखे गए ज्ञान का उपयोग करके जवाब तैयार करता है, और फिर उसे आपके सामने प्रस्तुत करता है। ये पूरी प्रक्रिया कुछ ही सेकंड में हो जाती है, लेकिन इसके पीछे लाखों डेटा पॉइंट्स और सीखने की प्रक्रिया होती है।

AI कई बार feedback loop का भी उपयोग करता है, यानी जब वह कुछ गलत करता है और उसे सुधारने की सलाह मिलती है, तो वह खुद को बेहतर बनाता है। यही वजह है कि आज की AI पहले से ज्यादा स्मार्ट और यूज़र फ्रेंडली होती जा रही है।

AI के काम करने के लिए जरूरी होता है बहुत सारी computational power, यानी तेज़ और ताकतवर कंप्यूटर। इसलिए AI कंपनियां बड़े GPU क्लस्टर, क्लाउड कंप्यूटिंग और हाई-परफॉर्मेंस सर्वर का इस्तेमाल करती हैं। जैसे OpenAI का GPT मॉडल या Google का Gemini मॉडल, इन सभी को ट्रेन करने में करोड़ों डॉलर्स लगते हैं और महीनों का समय लगता है।

AI की दुनिया में कुछ अहम टर्म्स होते हैं – जैसे NLP (Natural Language Processing), Computer Vision (तस्वीरों को समझना), Reinforcement Learning (इनाम-पेनाल्टी के आधार पर सीखना) आदि। ये सभी चीज़ें मिलकर AI को और भी होशियार बनाती हैं।

अब अगर आप सोच रहे हैं कि AI इंसानों की जगह ले सकता है या नहीं – तो इसका जवाब है: “AI इंसानों की तरह सोच सकता है, लेकिन भावनाएं नहीं समझ सकता।” इसलिए वह आपकी जगह नहीं ले सकता, बल्कि आपकी मदद कर सकता है।

आज AI का उपयोग हर जगह हो रहा है – हेल्थकेयर में बीमारी की पहचान के लिए, बैंकों में फ्रॉड डिटेक्शन के लिए, स्कूलों में स्मार्ट एजुकेशन के लिए और यहां तक कि गाड़ियों में सेल्फ ड्राइविंग के लिए भी। और यह सब संभव हुआ है AI की इस “सीखने और समझने” की शक्ति से।

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Akshay Barman

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