पंजाब की राजनीति में बिक्रम मजीठिया एक ऐसा नाम हैं, जो शिरोमणि अकाली दल की अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह सिर्फ एक राजनीतिक नेता नहीं बल्कि बादल परिवार से भी जुड़े हैं, जो लंबे समय से पंजाब की राजनीति में सक्रिय है। बिक्रम मजीठिया पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं और उन्हें पार्टी का संगठनात्मक नेतृत्व भी सौंपा गया था। पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान उनका नाम कई मुद्दों में छाया रहा, खासकर जब उन पर ड्रग्स से जुड़े मामलों में एफआईआर दर्ज हुई।
2022 विधानसभा चुनाव में जब उनके खिलाफ मादक पदार्थ मामले को लेकर सीधा केस दर्ज हुआ, तब पंजाब की राजनीति में यह एक बड़ा मोड़ बन गया। हालांकि, मजीठिया ने इसे राजनीतिक साजिश बताया और कोर्ट में कानूनी लड़ाई भी लड़ी। इस दौरान शिरोमणि अकाली दल ने उन्हें मजीठा सीट से मैदान में उतारा, जो उनका पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र रहा है। लेकिन आम आदमी पार्टी की लहर के सामने अकाली दल को बड़ा झटका लगा और बिक्रम मजीठिया को हार का सामना करना पड़ा।
हाल ही में एक बार फिर बिक्रम मजीठिया का नाम चर्चा में आया है क्योंकि पार्टी उन्हें आगामी लोकसभा चुनावों में एक बड़ी भूमिका देने की तैयारी कर रही है। खबरों के अनुसार, वह पंजाब में पार्टी के प्रचार अभियान की रणनीति बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, मजीठिया लगातार राज्य सरकार और AAP नेतृत्व पर निशाना भी साध रहे हैं, जिससे यह साफ है कि वो राजनीतिक मोर्चे पर वापस एक्टिव हो चुके हैं।
बिक्रम मजीठिया की राजनीतिक छवि एक तेज-तर्रार वक्ता और पार्टी के कट्टर नेता के रूप में बन चुकी है। वह अक्सर मीडिया से बात करते हैं और अपने बयानों के जरिए चर्चा में रहते हैं। उनके समर्थक उन्हें पंजाब की राजनीति में अगला बड़ा चेहरा मानते हैं, लेकिन उनके आलोचक उन्हें विवादित मामलों की वजह से घेरते हैं। खासकर ड्रग केस को लेकर जो छवि उनके आसपास बनी, वह अभी तक पूरी तरह धुली नहीं है।
हाल ही में पंजाब सरकार द्वारा मजीठिया पर दर्ज केस को लेकर अदालतों में हो रही सुनवाई और संभावित क्लीन चिट की चर्चाएं भी मीडिया की सुर्खियों में रही हैं। वहीं शिरोमणि अकाली दल भी 2025 की रणनीति के तहत युवा चेहरों को आगे लाने की कोशिश में है, जिसमें मजीठिया का नाम फिर से प्रमुखता से उभरा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर मजीठिया खुद को कानूनी विवादों से पूरी तरह अलग साबित कर पाते हैं, तो वह भविष्य में पंजाब की राजनीति के निर्णायक खिलाड़ी बन सकते हैं। उनकी जनाधार अभी भी मजीठा और उसके आसपास के इलाकों में मजबूत है और पार्टी के भीतर भी उन्हें समर्थन मिलता रहा है।