रोज़ाना तकनीक के क्षेत्र में नए आविष्कार होते रहते हैं, लेकिन हाल ही में एक ऐसा रोबोट सामने आया है जिसने इंटरनेट पर सबका ध्यान खींच लिया है। AheadForm नाम की कंपनी ने अपने नवीनतम ह्यूमनॉइड रोबोट का एक डेमो वीडियो शेयर किया है, जिसमें यह रोबोट इंसानों जैसी मुस्कान यानी smirk करता दिख रहा है — और वह भी इतनी सजीवता के साथ कि एक यूज़र ने कहा: “अब डर इस बात का है कि रोबोट हमारे हाव-भाव भी हमसे बेहतर करने लगेंगे।”
यह वीडियो X (पहले Twitter) पर @reborn_agi के द्वारा शेयर किया गया है। इस रोबोट की खासियत यह है कि यह केवल इंसानों की तरह काम नहीं करता, बल्कि उनके हाव-भाव, चेहरे की अभिव्यक्तियों और भावनाओं को भी हूबहू दोहराने की कोशिश करता है। इस प्रक्रिया में real-time emotion synthesis, facial muscle mapping, और soft actuators जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया है।
यह कोई अकेला प्रयास नहीं है। दुनिया भर में ह्यूमनॉइड रोबोट्स को इंसानों जैसे व्यवहार, चेहरा और सामाजिक कौशल से लैस करने की कोशिश की जा रही है। Agility Robotics की ‘Digit’ और University of Science and Technology of China द्वारा विकसित ‘Jiajia’ रोबोट ऐसे उदाहरण हैं जो इंसानी रूप और संवाद को केंद्र में रखकर बनाए गए हैं।
इस दिशा में हो रहे विकास को वैज्ञानिक समुदाय भी गंभीरता से ले रहा है। ScienceDirect में प्रकाशित एक अध्ययन “Facially Expressive Humanoid Robotic Face” में यह बताया गया है कि भावनात्मक संवाद यानी emotional communication अब रोबोटिक्स का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। रिसर्च बताती है कि अगर कोई रोबोट चेहरे से खुशी, दुख, आश्चर्य या झुंझलाहट जैसे भाव जाहिर कर सकता है, तो उसके साथ इंसानी इंटरैक्शन और सहज हो जाता है।
हालांकि, इस दिशा में एक बड़ी चुनौती है — लागत। इतने जटिल ह्यूमनॉइड रोबोट्स बनाना बेहद महंगा है, और आम तौर पर यह तकनीक रिसर्च लैब्स या बड़ी कंपनियों तक सीमित रहती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ये रोबोट आम लोगों के लिए भी उपयोगी होंगे? या फिर यह केवल हाई-एंड इंडस्ट्रीज और विज्ञापन वर्चुअल असिस्टेंट्स तक ही सीमित रहेंगे?
AheadForm का यह नया डेमो, जिसमें एक रोबोट ज़ूम मीटिंग जैसी स्थिति में इंसानों से बेहतर हाव-भाव दिखा रहा है, हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या रोबोट्स सिर्फ हमारे काम ही नहीं, हमारी पहचान और सामाजिक व्यवहार भी कॉपी करने लगेंगे?
क्या भविष्य में हम ऐसे वर्चुअल स्पेस में होंगे जहाँ इंसानों और रोबोट्स के बीच का अंतर केवल एक “मुस्कान” तक सिमट जाएगा?