Elon Musk की कंपनी Neuralink ने हाल ही में अपने नए सर्जिकल रोबोट का खुलासा किया है, जिसने ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) तकनीक को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इस नई तकनीक की खास बात यह है कि यह रोबोट अब दिमाग में माइक्रो थ्रेड्स को इंप्लांट करने का समय केवल 1.5 सेकंड तक ला चुका है, जो कि पहले 17 सेकंड तक लगता था। इससे साफ होता है कि Neuralink की यह तकनीक अब अधिक तेज़, सटीक और स्केलेबल बन चुकी है।
इस रोबोट की मदद से अब इंसानी दिमाग में ज्यादा गहराई तक – लगभग 50 मिलीमीटर तक सर्जरी करना संभव हो गया है, जिससे पहले की तुलना में कई अधिक न्यूरॉन्स तक पहुंच बनाना आसान हो गया है। यह उन्नति न केवल efficiency को बढ़ाती है, बल्कि अब यह रोबोट 99% ग्लोबल पॉपुलेशन के दिमाग की संरचना के अनुसार अनुकूल हो चुका है, जो इसके व्यावसायिक और क्लिनिकल प्रयोग के रास्ते खोलता है।
इस पूरे बदलाव का एक और बड़ा पहलू है लागत में आई भारी गिरावट। जहां पहले एक needle cartridge बनाने में 24 घंटे और \$350 (लगभग ₹29,000) लगते थे, वहीं अब यह काम केवल 30 मिनट और \$15 (लगभग ₹1,200) में किया जा सकता है। यह संभव हुआ है insert molding जैसी आधुनिक निर्माण तकनीक और needle tip geometry के सुधार से। ये सारे बदलाव इस तकनीक को न केवल सस्ता बनाते हैं, बल्कि भविष्य में आम लोगों के लिए उपलब्ध कराए जाने की संभावनाएं भी बढ़ाते हैं।
Neuralink की यह प्रगति केवल तकनीकी नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए एक गहरी नैतिक और सामाजिक बहस भी खड़ी करती है। इस रोबोट की मदद से इंसान अपने दिमाग से सीधे कंप्यूटर, मशीन और यहां तक कि रोबोट को भी नियंत्रित कर सकता है। यह भविष्य में उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है जो लकवाग्रस्त हैं या जिनकी मांसपेशियाँ काम नहीं करतीं। Neuralink के अनुसार, आने वाले वर्षों में यह तकनीक न सिर्फ मेडिकल इस्तेमाल के लिए बल्कि टेस्ला के Optimus रोबोट से जोड़कर “रोबोट को दूर से इंसानी नियंत्रण” देने तक काम आ सकती है।
हालांकि, इस प्रगति के साथ कुछ सवाल भी उठते हैं। Neuralink पहले भी पशु परीक्षणों को लेकर विवादों में रह चुकी है। रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ परीक्षणों में primates पर adverse effects देखे गए हैं, और इस विषय पर जांच भी चल रही है। इससे साफ है कि इस तकनीक की नैतिकता और सुरक्षा को लेकर गंभीर चर्चाएं जरूरी हैं।
फिर भी, इतना तय है कि यह नया सर्जिकल रोबोट अब महज साइंस फिक्शन नहीं रहा। Neuralink का यह कदम चिकित्सा जगत, रोबोटिक्स और इंसान की सोचने-करने की सीमाओं को पुर्नนิर्भारित करने की ओर इशारा करता है। आने वाले वर्षों में यह तकनीक मानव क्षमता और मशीनों की दुनिया के बीच की सीमाओं को धुंधला कर सकती है।
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