राजस्थान सरकार ने बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बेहद प्रभावशाली योजना की शुरुआत की है, जिसका नाम है लाडो प्रोत्साहन योजना 2025। यह योजना राज्य की गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों की बेटियों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई है, जिसमें बेटी के जन्म से लेकर स्नातक की पढ़ाई पूरी होने तक कुल ₹1.50 लाख की आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में बेटियों के जन्म को बढ़ावा देना, उनके स्वास्थ्य और शिक्षा को सुनिश्चित करना, और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को रोकना है। यह योजना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की दिशा में राजस्थान सरकार का एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस योजना के अंतर्गत बेटी के जन्म के समय से ही सहायता शुरू हो जाती है। जब बेटी का जन्म होता है, तो परिवार को पहली किश्त के रूप में ₹2,500 की राशि दी जाती है। इसके बाद, जब बच्ची का पूरा टीकाकरण हो जाता है, तो ₹2,500 की दूसरी किश्त मिलती है। जैसे-जैसे बच्ची की शिक्षा आगे बढ़ती है, उसे विभिन्न चरणों पर सहायता मिलती है – जैसे कक्षा 1 में ₹4,000, कक्षा 6 में ₹5,000, कक्षा 10 में ₹11,000 और कक्षा 12 पास करने पर ₹25,000। जब बच्ची स्नातक की पढ़ाई पूरी कर लेती है और उसकी उम्र 21 वर्ष हो जाती है, तब ₹1 लाख की आखिरी किश्त उसके बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाती है। इस तरह कुल मिलाकर ₹1.50 लाख की सहायता राशि सरकार द्वारा दी जाती है, जिससे बेटियों को आगे बढ़ने के अवसर मिलते हैं।
यह योजना पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत संचालित की जाती है। बेटी के जन्म के समय जो अस्पताल या चिकित्सा केंद्र होता है, वहां उसका रिकॉर्ड PCTS पोर्टल पर दर्ज किया जाता है। यह पोर्टल स्वास्थ्य विभाग का एक ऑनलाइन सिस्टम है, जहां बच्ची का यूनिक PCTS ID जनरेट होता है और उसी के आधार पर लाडो योजना का प्रोसेस शुरू हो जाता है। कोई अलग से आवेदन या फार्म भरने की आवश्यकता नहीं होती। किश्तें अपने-आप निर्धारित समय और चरणों पर लाभार्थी के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से भेज दी जाती हैं।
इस योजना से जुड़े दस्तावेज़ों में माता-पिता का आधार कार्ड, बच्ची का जन्म प्रमाणपत्र, ममता कार्ड या टीकाकरण कार्ड, बैंक खाता विवरण और अगर पहले से कोई स्कॉलरशिप ली गई हो तो उसका विवरण शामिल होता है। ये दस्तावेज़ अस्पताल या सरकारी हेल्थ सेंटर से जुड़े सिस्टम में पहले से अपलोड हो जाते हैं, जिससे लाभ लेने में किसी तरह की बाधा न आए। योजना का लाभ केवल उन्हीं बेटियों को मिलेगा जिनका जन्म राजस्थान राज्य में 1 अगस्त 2024 या उसके बाद हुआ हो और जिनकी मां राज्य की स्थायी निवासी हो।
लाडो प्रोत्साहन योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी तरह की मध्यस्थता या रिश्वत का कोई मौका नहीं है। सारी प्रक्रिया स्वतः होती है और पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में आता है। इससे न केवल बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन मिलता है, बल्कि माता-पिता की सोच में भी सकारात्मक बदलाव आता है। अब बेटी को बोझ नहीं, बल्कि एक निवेश की तरह देखा जा रहा है। यही कारण है कि राज्य में बेटियों का लिंगानुपात धीरे-धीरे सुधर रहा है और पढ़ाई की दर भी बढ़ी है।
इस योजना का लाभ अब तक हजारों बेटियों को मिल चुका है और राज्य सरकार ने 2025 में बजट पेश करते समय इसकी राशि को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.50 लाख कर दिया। यह बदलाव मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा मार्च 2025 के बजट सत्र में घोषित किया गया, जिससे लाखों परिवारों को आर्थिक और मानसिक राहत मिली। इससे पहले यह योजना राजश्री योजना के नाम से चलाई जा रही थी, लेकिन अब इसे नए नाम, बढ़ी हुई राशि और सरल प्रोसेस के साथ लागू किया गया है। योजना के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि लाभ समय पर और सही व्यक्ति तक पहुंचे।
राजस्थान सरकार की यह योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उनके आत्मविश्वास, आर्थिक मजबूती और समाज में समान दर्जे की भावना को भी बल मिलेगा। योजना को कई अन्य राज्यों ने भी अध्ययन के लिए मॉडल के रूप में देखा है। आने वाले समय में केंद्र सरकार भी इस तरह की योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर लागू कर सकती है।
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FAQ
लाडो प्रोत्साहन योजना क्या है?
राजस्थान सरकार की यह योजना बेटी के जन्म से लेकर स्नातक तक कुल ₹1.50 लाख की सहायता देती है, सात चरणों में।
इस योजना का लाभ कैसे मिलता है?
बेटी का जन्म सरकारी अस्पताल में हो और डेटा PCTS पोर्टल पर दर्ज हो तो स्वतः किश्तें बैंक खाते में जाती हैं।
कौन पात्र है?
बेटी का जन्म 1 अगस्त 2024 या बाद में राजस्थान में होना चाहिए और माता राज्य की मूल निवासी हो।
अंतिम किश्त कब मिलती है?
जब बेटी स्नातक पास कर लेती है और उसकी उम्र 21 साल हो जाती है, तब ₹1 लाख की अंतिम राशि DBT द्वारा दी जाती है।
क्या इसके लिए आवेदन करना पड़ता है?
नहीं, आवेदन की आवश्यकता नहीं होती। प्रक्रिया जन्म के समय ही शुरू हो जाती है।