सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें दिखाया गया है कि चीन के एक ऑफिस में कैसे AI की मदद से कर्मचारियों की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है। वीडियो को X (पहले Twitter) यूज़र Massimo (@Rainmaker1973) ने शेयर किया और उसमें साफ दिखता है कि एक कर्मचारी के डेस्क छोड़ने पर टाइमर चालू हो जाता है। जितनी देर वो कर्मचारी अपनी सीट से दूर रहता है, उतना वेतन उसके अकाउंट से काट लिया जाता है।
ये सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि एक बड़े ट्रेंड का हिस्सा है जो चीन में AI के उपयोग से जुड़े कार्यस्थल की निगरानी को दर्शाता है। चीन में ऐसी निगरानी नई बात नहीं है, लेकिन अब यह AI आधारित हो गई है — यानी मशीनें खुद तय करती हैं कि कर्मचारी “कितना काम कर रहे हैं” और “कब ब्रेक ले रहे हैं”। इसका असर सीधे-सीधे उनकी सैलरी और परफॉर्मेंस रिव्यू पर पड़ सकता है।
2021 में चीन ने Personal Information Protection Law (PIPL) लागू किया था, जो कर्मचारियों की जानकारी को सुरक्षित रखने की कोशिश करता है। लेकिन DLA Piper जैसी संस्थाओं की रिपोर्ट बताती हैं कि इन कानूनों के बावजूद AI निगरानी बिना कर्मचारी की साफ सहमति के भी की जा रही है। कंपनियां इसे “प्रोडक्टिविटी मैनेजमेंट” कहकर बच निकलती हैं, लेकिन कर्मचारियों के लिए ये एक तनावपूर्ण अनुभव बन गया है।
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के अनुसार, इस तरह की निगरानी कर्मचारियों में असंतोष और मानसिक दबाव को बढ़ा सकती है। कर्मचारी जब ये महसूस करते हैं कि उन पर हर पल निगरानी की जा रही है, तो न सिर्फ उनका भरोसा कंपनी से उठता है, बल्कि उनकी उत्पादकता भी धीरे-धीरे कम हो जाती है। ऐसा माहौल जहाँ हर गतिविधि पर AI की नज़र हो, वहाँ भरोसे की जगह डर हावी हो जाता है।
AI से निगरानी का विचार शुरू में कंपनियों के लिए फायदेमंद लगता है — उन्हें लगता है कि इससे वे “हर सेकंड का हिसाब” रख पाएंगे और काम का स्तर बेहतर होगा। लेकिन असल में इसका उल्टा असर हो रहा है। कर्मचारी मशीनों की तरह काम करने को मजबूर हो रहे हैं, ब्रेक लेने से डर रहे हैं, और लंबे समय तक यह कार्य संस्कृति टिकाऊ नहीं रह सकती।
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो आने वाले समय में कर्मचारियों की नाराजगी बड़े पैमाने पर देखी जा सकती है। लोग ऐसी कंपनियों से दूरी बनाने लगेंगे जहाँ निगरानी को ही मुख्य मूल्य मान लिया गया है। कार्यस्थल पर भरोसा और मानवता की जगह अगर केवल डेटा और टाइमर रह जाएंगे, तो संगठन की नींव ही कमजोर हो जाएगी।
यह वीडियो चीन के संदर्भ में है, लेकिन यह सवाल भारत और दुनिया भर में भी उठता है — क्या AI के नाम पर हमें कर्मचारियों को “जासूसी के माहौल” में डाल देना चाहिए? क्या इंसानी आज़ादी और भरोसे की कीमत पर मशीनों को ज्यादा अधिकार देना सही है?
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तकनीक का उपयोग ज़रूर होना चाहिए, लेकिन संतुलन के साथ। हमें यह याद रखना होगा कि ऑफिस में काम करने वाला इंसान है, मशीन नहीं। और अगर हम इंसानों को मशीन की तरह ट्रीट करेंगे, तो उनसे इंसानों जैसा परफॉर्मेंस भी नहीं मिलेगा।
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