हाल ही में Haifa बंदरगाह (2023 में Adani Group द्वारा $1.18 बिलियन में अधिग्रहीत) के पास भयानक आग लगने की तस्वीर सामने आई, जो एक ईरानी मिसाइल हमले में कथित रूप से क्षतिग्रस्त हुई थी। बीबीसी सहित कई मीडिया रिपोर्ट्स ने 15 जून 2025 को हुई इस पुष्टि वाली हवाई हमले की जानकारी दी है, जिसमें कई लोग घायल हुए और ढेरों इमारतों को नुकसान पहुंचा। Haifa पोर्ट Adani Ports के कुल माल-आयतन का करीब 3 % हिस्सा है, लेकिन इसका महत्व इसीलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह Israel में Elbit Systems के साथ मिलकर सैन्य ड्रोन बनाने वाला एक संयुक्त उद्यम भी संचालित करता है।
इस हमले ने भारत के भारी निवेशों पर वैश्विक राजनीतिक जोखिमों को फिर से उजागर कर दिया है। India Today और Financial Express जैसी रिपोर्ट्स में यह स्वीकार किया गया है कि इस हमले के बाद तेल की कीमतों में उछाल आया है और समुद्री माल-परिवहन प्रणाली संकटग्रस्त होती दिखी है। Julius Baer की आर्थिक रिपोर्ट भी इस बात पर सहमत है कि मध्य-पूर्व में तनाव वृद्धि से वैश्विक व्यापार एवं ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान की संभावना बढ़ जाती है।
Adani Ports & Special Economic Zone का शेयर बाजार पर भी असर दिखा है। Reuters की रिपोर्ट में बताया गया कि Haifa पोर्ट के रुक-हटने के बाद Adani Ports के स्टॉक में लगभग 3 % की गिरावट आई और Adani Enterprises के शेयरों में भी शुरुआती कारोबार में करीब 2.8 % की कमजोरी देखने को मिली। हालांकि Haifa पोर्ट का आर्थिक योगदान 3 % है, इसका रणनीतिक और प्रतीकात्मक महत्व कहीं अधिक है क्योंकि यह Adani को Israel की रक्षा और प्रौद्योगिकी साझेदारी में जोड़ता है।
जैसे ही तनाव बढ़ा, भारत सरकार और वित्तीय संस्थानों ने संभव तेल मूल्य उछाल और वैश्विक आपूर्ति व्यवधानों के लिए चेतावनी जारी की। दक्षिण एशियाई देशों को इस क्षेत्र से आयात संबंधी विकल्प तलाशने पर जोर देना पड़ा। वहीं, अमेरिकी और यूरोपीय स्तर पर भी Haifa बंदरगाह और मध्य-पूर्व निर्यात मार्गों की सुरक्षा रणनीतियाँ समीक्षा के दौर में आ गई हैं, जबकि सरकारें यात्रा सलाह और निवेश जोखिम-ऑडिट जैसे कदम उठा रही हैं।
गौतम अडानी का Israel में निवेश केवल Haifa पोर्ट तक सीमित नहीं है। उनका संयुक्त उद्यम Elbit Systems से Hyderabad में Hermes 900 जैसे सैन्य ड्रोन बनाने को लेकर भी सक्रिय है — जो IDF (Israel Defense Forces) की आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसके अलावा, अडानी समूह Tower Semiconductor के साथ $10 बिलियन के सेमीकंडक्टर संयंत्र की योजना पर भी काम कर रहा था, जिसे फिलहाल विवादास्पद और अनिश्चित परिस्थितियों के कारण स्थगित किया गया है ।
इस मामले की एक बड़ी सीख यह है कि वैश्विक निवेश अब सिर्फ वित्तीय रिटर्न के बारे में नहीं है, बल्कि भू-राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा जोखिम का भी गहरा मापदंड बन गया है। Adani की हालिया जोखिम स्थितियां – जैसे मुंहमांगी बोली, वित्तीय होल्ड-बैक और स्टॉक प्रदर्शन – स्पष्ट संकेत हैं कि निवेश की रणनीति में सीमा पार चुनौती और मजबूती दोनों ही स्पष्ट हो गए हैं।
अगर यह संघर्ष लंबा चला तो Haifa पोर्ट पर निर्भरता कम करने और वैकल्पिक व्यापार रास्तों व सप्लाई चैनल्स की योजना बनाना अब शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए। संभव है कि यह घटनाक्रम Adani Group को अपने निवेश पोर्टफोलियो के पुनर्मूल्यांकन की दिशा में प्रेरित करे, जिससे जोखिमप्रबंधन, अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से बातचीत और रणनीतिक लचीलापन की नई परतें बनें।
हम यह देखेंगे कि वैश्विक तेल और माल मार्केट इनमें कैसे प्रतिक्रिया देता है, और भारतीय नीति निर्माताओं एवं निवेशकों का अगला कदम क्या होता है। Haifa Port पर यह हमलावर निशाना, भारत के बड़े विदेशी निवेशों में रणनीतिक जोखिम की एक नई चेतावनी दे गया है।
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