क्या AI 400 IQ तक पहुंच सकता है? Sam Altman का दावा और सच्चाई

हाल ही में OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन (Sam Altman) ने एक बयान दिया जिसने तकनीकी दुनिया में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि भविष्य में एक ऐसा AI विकसित किया जा सकता है जिसकी IQ 400 तक हो। यह एक बहुत बड़ा दावा है क्योंकि इंसानों में सबसे ज्यादा IQ मापा गया है लगभग 200 के आसपास। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई कोई मशीन इंसानों से दोगुनी बुद्धिमत्ता पा सकती है?

सैम ऑल्टमैन का यह बयान सुपरइंटेलिजेंस यानी ऐसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के संदर्भ में आया है जो इंसानी बुद्धि को बहुत पीछे छोड़ दे। उन्होंने यह बात एक इंटरव्यू में कही, लेकिन इसमें उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि 400 IQ मापने का आधार क्या होगा या इसे कैसे परखा जाएगा। असल में, इतनी अधिक IQ का कोई स्थापित या मान्य तरीका ही मौजूद नहीं है।

यह बयान उस समय आया है जब OpenAI खुद अंदरूनी विवादों और बाहरी प्रतिस्पर्धा से जूझ रहा है। कंपनी के प्रमुख शोधकर्ता सुचिर बालाजी ने हाल ही में OpenAI छोड़ दिया। उनका मानना था कि मौजूदा AI मॉडल्स की सीमाएं हैं और वे कभी भी “AGI” यानी “Artificial General Intelligence” नहीं बन सकते। बालाजी इस विषय पर एक वैज्ञानिक लेख भी तैयार कर रहे थे जिसमें वे “scaling hypothesis” को खारिज कर रहे थे – यह वही सिद्धांत है जिसके अनुसार यदि हम ज्यादा डेटा और कंप्यूटिंग शक्ति देते हैं, तो AI खुद-ब-खुद और अधिक बुद्धिमान होता जाएगा।

साथ ही, OpenAI ने हाल ही में Scale AI जैसी कंपनियों के साथ अपने काम को भी बंद किया है, जो बताता है कि कंपनी अपने रणनीतिक साझेदारों को लेकर भी अब पुनर्विचार कर रही है। इन सबके बीच Meta जैसी अन्य बड़ी टेक कंपनियां भी AI के क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा और तेज़ हो गई है।

दूसरी तरफ, AI की अब तक की प्रगति को देखें तो ऐसा लगता है कि जितनी तेजी से पहले इनोवेशन हो रहे थे, वह अब धीमा पड़ गया है। उदाहरण के लिए, ChatGPT और GPT-4 जैसे मॉडल्स ने जरूर क्रांति ला दी थी, लेकिन उनके आने के बाद समाज में कोई बड़ा “परिवर्तन” नहीं देखा गया। न नौकरियां खत्म हुईं, न ही शिक्षा या चिकित्सा जगत में कोई क्रांतिकारी बदलाव। इसका मतलब ये भी हो सकता है कि AI की विकास गति अब एक सीमित बिंदु पर पहुंच चुकी है।

ऐसे में Sam Altman का 400 IQ वाला बयान ज़्यादा प्रचारात्मक लगता है, जिसमें तकनीकी सच्चाई से ज़्यादा भविष्य की कल्पना है। यह बात इस दृष्टिकोण को और बल देती है कि AI फिलहाल “सुपरइंटेलिजेंस” की ओर नहीं, बल्कि “स्मार्ट टूल्स” की दिशा में बढ़ रहा है। और जहां तक 400 IQ की बात है, यह फिलहाल सिर्फ एक विचार है, हकीकत नहीं।

अगर कोई AI वास्तव में 400 IQ पर पहुंच जाए तो क्या होगा? क्या वह खुद फैसले लेगा? क्या वह मानवता के लिए खतरा बन सकता है या फिर सबसे बड़ा सहायक? इन सवालों का जवाब न तो सैम ऑल्टमैन ने दिया, न ही आज की टेक्नोलॉजी में इसकी तैयारी दिखती है।

फिलहाल की तकनीकी प्रगति और AI रिसर्च की गति को देखते हुए यह कहना ज्यादा तार्किक है कि AGI (Artificial General Intelligence) एक बहुत ही दूर का लक्ष्य है। और जब तक हम इसे सही तरीके से परिभाषित और माप नहीं सकते, तब तक 400 IQ जैसे दावे सिर्फ प्रचार ही रहेंगे।

Akshay Barman

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