अब कैफे में कॉफी पीते हुए भी आपके ऊपर कैमरे की नजर हो सकती है। हाल ही में एक X पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें बताया गया है कि एक कैफे में AI सिस्टम का इस्तेमाल करके बारिस्ता यानी कॉफी बनाने वाले कर्मचारियों की परफॉर्मेंस पर नजर रखी जा रही है। साथ ही, ग्राहक कितनी देर तक बैठा, क्या कर रहा है, वो भी इस सिस्टम से रिकॉर्ड हो रहा है। इस AI मॉड्यूल का नाम है –
“NeuroSpot Barista Staff Control and Customer Monitoring Video Analytics Module“
इस टेक्नोलॉजी का दावा है कि यह पूरे कैफे की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है, लेकिन इसके साथ-साथ प्राइवेसी को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
इस मॉड्यूल का काम है बारिस्ता कब आता है, कितनी देर तक काम करता है, कितने ग्राहकों को सर्व करता है और कितनी देर तक खाली बैठा रहता है , यह सब रिकॉर्ड करना। इसके अलावा ग्राहक कब आया, कितना वक्त बिताया, कितनी बार उसने इधर-उधर देखा या फोन में क्या किया – सब कुछ ट्रैक किया जाता है।
ये सिर्फ एक कैफे की बात नहीं है। अमेरिका के बड़े रिटेल स्टोर जैसे Lowe’s में भी ऐसे ही सिस्टम लगे हैं जहां कर्मचारियों की गतिविधियों और ग्राहकों की मूवमेंट पर नजर रखी जाती है। इन कैमरों में AI लगा होता है जो खुद से हर मूवमेंट को एनालाइज करता है और मैनेजमेंट को डेटा देता है।
देखने में तो यह सिस्टम बेहद स्मार्ट और उपयोगी लगता है, लेकिन इससे जुड़ी सबसे बड़ी चिंता है – निजता यानी प्राइवेसी की। क्या एक आम ग्राहक को यह पता होता है कि उसकी हर हरकत रिकॉर्ड हो रही है? क्या कर्मचारी आराम से काम कर सकता है जब उसे हर सेकंड पर नजर रखी जा रही हो?
कई लोग इस ट्रेंड की तुलना चीन के सोशल क्रेडिट सिस्टम से कर रहे हैं, जहां नागरिकों के हर व्यवहार को स्कोर किया जाता है। हालांकि Vincent Brussee जैसे शोधकर्ताओं का कहना है कि चीन में ऐसा कोई एकीकृत राष्ट्रीय स्कोर सिस्टम नहीं है, जैसा कि पश्चिमी मीडिया में दिखाया जाता है। चीन का सिस्टम अधिकतर स्थानीय स्तर पर लागू होता है, और उसका फोकस वित्तीय और व्यापारिक मामलों पर ज्यादा होता है, ना कि व्यक्तिगत गतिविधियों पर।
फिर भी, AI निगरानी सिस्टम की बढ़ती मौजूदगी से ये डर बढ़ गया है कि क्या हम धीरे-धीरे एक ऐसी दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं जहां हर एक हरकत पर नजर रखी जाएगी?
सोशल मीडिया पर भी इस विषय को लेकर चर्चाएं तेज हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह टेक्नोलॉजी काम के माहौल को बेहतर बनाएगी और ग्राहक सेवा में सुधार होगा। लेकिन बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि यह एक खतरनाक ट्रेंड है जो मानव अधिकारों और आज़ादी पर असर डाल सकता है।
इस तरह की निगरानी व्यवस्था का अगर पारदर्शी तरीके से इस्तेमाल हो और लोगों को इसकी जानकारी दी जाए, तो शायद इसे स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन गुपचुप तरीके से अगर ग्राहक या कर्मचारी की हर हरकत ट्रैक की जाए, तो यह एक बड़ी समस्या बन सकती है।
2025 में जैसे-जैसे AI और स्मार्ट कैमरे सस्ते और सुलभ होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे इनका इस्तेमाल भी बढ़ रहा है। अब सवाल यह है कि इस तकनीक के साथ हम इंसानियत और निजता के संतुलन को कैसे बनाए रख सकते हैं।