12 जून 2025 को हुए Air India फ्लाइट AI-171 के भीषण विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और यह भारत के इतिहास के सबसे घातक विमान हादसों में से एक बन चुका है। यह दुर्घटना उस वक्त हुई जब विमान अहमदाबाद से टेक-ऑफ के तुरंत बाद पास के एक मेडिकल कॉलेज की इमारत से टकरा गया।
इस हादसे के अगले ही दिन, 13 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद एयरपोर्ट पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। प्रधानमंत्री का यह कदम सोशल मीडिया और पब्लिक डिबेट्स में विशेष रूप से इसलिए चर्चा में है क्योंकि इस तरह की त्वरित प्रतिक्रिया दुर्लभ मानी जाती है। PM मोदी की यह मीटिंग उस समय हुई जब ब्लैक बॉक्स की बरामदगी की पुष्टि भी हो चुकी थी। AP न्यूज के अनुसार, यह ब्लैक बॉक्स एक छात्रावास की छत पर क्षतिग्रस्त अवस्था में मिला।
ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद अब DGCA और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तकनीकी जांच शुरू हो गई है। शुरुआती रिपोर्ट्स में यह जानकारी सामने आई है कि टेक-ऑफ के महज एक मिनट के अंदर ही Boeing 787 Dreamliner विमान में तकनीकी गड़बड़ी उत्पन्न हो गई थी। यह बात चौंकाने वाली है क्योंकि Boeing 787 जैसे आधुनिक विमान की विश्वसनीयता काफी ऊंचे स्तर पर मानी जाती है। 2021 में हुए FAA के एक अध्ययन में यह पाया गया था कि इस मॉडल में ऐसे तकनीकी फेल्योर की संभावना मात्र 0.1% होती है।
हादसे से जुड़े वीडियो और तस्वीरें भी सामने आई हैं जिनमें विमान का अगला हिस्सा मेडिकल कॉलेज की इमारत में घुसा हुआ दिखता है। साथ ही, आग से झुलसी हुई पूरी इमारत और शवों की भयावह स्थिति भी देखी गई है। इन सभी दृश्य प्रमाणों ने आम जनता में डर और गुस्से दोनों को जन्म दिया है।
एक ओर जहाँ प्रधानमंत्री का घटना स्थल का दौरा और एकमात्र बचे यात्री – विश्वास कुमार रमेश – से अस्पताल में मुलाक़ात को भावनात्मक समर्थन माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर इस पर सवाल भी उठ रहे हैं। कई लोग इसे एक “फोटो ऑप” मान रहे हैं और सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
विशेष रूप से संख्या 11 को लेकर ऑनलाइन अटकलें लगाई जा रही हैं – मसलन, बचे हुए यात्री की सीट संख्या 11A, फ्लाइट का टेक-ऑफ समय 11:01 AM और यह दावा कि विमान में 11 मिनट के भीतर सबकुछ खत्म हो गया। हालांकि, इन बातों को वैज्ञानिक मान्यता नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया पर इन्हें ‘चमत्कार’ और ‘संयोग’ कहकर खूब शेयर किया जा रहा है।
बड़ी संख्या में लोग पूछ रहे हैं कि विमान में पायलट ने जिस तकनीकी गड़बड़ी की चेतावनी दी थी, उसे क्यों नजरअंदाज किया गया? क्या एयर इंडिया ने समय रहते सुरक्षा मानकों को लागू नहीं किया? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ICAO की 2021 की रिपोर्ट में भारत की एविएशन सुरक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।
टेक्नोलॉजी की इस उम्र में, जहां Boeing 787 जैसे विमानों को ‘intelligent aircraft’ कहा जाता है, वहां इस तरह का हादसा चिंता का विषय बनता है। यह न केवल एयर इंडिया की जवाबदेही पर सवाल उठाता है, बल्कि भारत की संपूर्ण एविएशन इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूती पर भी।
अब सबकी निगाहें ब्लैक बॉक्स डेटा पर हैं, जिससे सच्चाई सामने आ सकेगी। हादसे में मारे गए लोगों के परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं। हादसे में बचने वाले विश्वास कुमार रमेश की मेडिकल रिपोर्ट्स भी सुर्खियों में हैं क्योंकि उन्हें सिर पर मामूली चोट आई लेकिन वे सुरक्षित बाहर निकल आए, यह अपने-आप में चमत्कारी माना जा रहा है।
आम जनता, पीड़ित परिवार और एविएशन एक्सपर्ट्स – सभी यह चाहते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां फिर न हों।
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