12 जून 2025 को भारत ने अपने सबसे भयावह विमान हादसों में से एक का सामना किया, जब एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 अहमदाबाद में एक आवासीय क्षेत्र पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में कुल 241 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिससे देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। यह फ्लाइट एक Boeing 787 Dreamliner थी, जो घरेलू उड़ान पर थी। हादसे के बाद 13 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटनास्थल का दौरा किया, जो किसी भी बड़े घरेलू विमान हादसे के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की दुर्लभ प्रतिक्रिया मानी जा रही है।
हादसे के दृश्य बेहद भयावह थे। सामने आए वीडियो और तस्वीरों में प्लेन की नाक एक इमारत में धंसी हुई दिखाई दी, और चार मंजिला एक आवासीय ब्लॉक पूरी तरह जलकर राख हो चुका था। क्रैश साइट पर फैले मलबे में से ब्लैक बॉक्स बरामद किया गया, जो एक हॉस्टल की छत पर पड़ा मिला। जांच एजेंसियों ने ब्लैक बॉक्स को प्रयोगशाला में भेज दिया है, जिससे दुर्घटना के कारणों का सही पता चल सके। प्रारंभिक रिपोर्टों में बताया गया है कि फ्लाइट के क्रू मेंबर्स ने उड़ान से पहले तकनीकी दिक्कतों को लेकर चेतावनी दी थी, लेकिन उन्हें एयर इंडिया प्रबंधन द्वारा नजरअंदाज़ कर दिया गया।
इस पूरे मामले ने भारत की विमानन सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। साल 2021 की ICAO (International Civil Aviation Organization) ऑडिट में यह सामने आया था कि भारत की एविएशन सेफ्टी ओवरसाइट कई मामलों में अंतरराष्ट्रीय मानकों से कमजोर पाई गई थी। ऐसे में यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं बल्कि एक संस्थागत विफलता का भी प्रतीक बनता जा रहा है। कई विशेषज्ञों और पायलट यूनियनों ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि एयरलाइंस प्रबंधन को तकनीकी चेतावनियों को गंभीरता से लेना चाहिए और DGCA को सुरक्षा मानकों की सख्ती से निगरानी करनी चाहिए।
इस भीषण दुर्घटना के बीच एक आश्चर्यजनक बात यह रही कि हादसे की जगह से एक भगवद गीता की प्रति पूरी तरह सुरक्षित अवस्था में मिली। जहां चारों ओर सब कुछ जल चुका था, वहां इस धार्मिक ग्रंथ का सुरक्षित रह जाना सोशल मीडिया और जनमानस में चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग इसे प्रतीकात्मक मानते हैं तो कुछ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे महज संयोग बता रहे हैं। हालांकि अभी तक किसी भी वैज्ञानिक या मटीरियल इंजीनियरिंग की स्टडी ने यह पुष्टि नहीं की है कि भगवद गीता की प्रिंटिंग सामग्री को आग से बचाने की कोई विशेष क्षमता होती है।
पीएम नरेंद्र मोदी का घटनास्थल पर जाना एक मजबूत राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने राहत कार्यों का जायज़ा लिया और मृतकों के परिवारों से मुलाक़ात भी की। साथ ही उन्होंने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और मुआवज़े की घोषणा भी की है। यह पहली बार है जब किसी घरेलू एविएशन हादसे में प्रधानमंत्री की ओर से इतनी सक्रिय भागीदारी देखी गई है। इससे पहले इस स्तर की प्रतिक्रिया केवल अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर ही होती रही है।
देशभर से आए राहत दल, एनडीआरएफ, फायर ब्रिगेड और स्थानीय पुलिस ने पूरी रात राहत एवं बचाव कार्य जारी रखा। स्थानीय निवासियों ने भी राहत कार्य में मदद की और अपने घरों को अस्थायी राहत शिविरों में तब्दील कर दिया। इस हादसे के बाद भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय पर भारी दबाव है कि वह विमानन क्षेत्र में मौलिक सुधार लागू करे और सुरक्षा प्रोटोकॉल को कठोर बनाए।
इस हादसे ने भारत के एविएशन सेक्टर की कमजोर कड़ियों को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर टेक्नोलॉजी और सुविधाएं बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा मानकों की अनदेखी के परिणाम इतने विनाशकारी हो सकते हैं, इसका यह उदाहरण बन गया है। आने वाले दिनों में ब्लैक बॉक्स की रिपोर्ट, तकनीकी जांच और एयर इंडिया की जवाबदेही पर देश की निगाहें टिकी रहेंगी।
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