Apple का चीन से बाहर निकलना इतना आसान क्यों नहीं है? जानिए पूरी कहानी

Apple और चीन: एक जटिल रिश्ता

Apple दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक है, जो अपने iPhone, iPad, MacBook जैसे प्रोडक्ट्स के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि Apple अपने ज्यादातर प्रोडक्ट्स चीन में ही बनवाता है?

चीन में Apple के उत्पादन की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कंपनी ने वहां 2.8 करोड़ से अधिक वर्कर्स को प्रशिक्षित किया है। यह आंकड़ा California की पूरी कार्यबल से भी बड़ा है।

भारत और वियतनाम की ओर झुकाव

हाल के वर्षों में Apple ने चीन से बाहर निकलने की कोशिशें शुरू की हैं। भारत और वियतनाम जैसे देशों में कंपनी ने iPhone और अन्य प्रोडक्ट्स का निर्माण शुरू किया है। भारत में अब iPhone 15 जैसे हाई-एंड मॉडल भी बन रहे हैं।

2024 में Apple ने भारत से करीब 12% iPhones एक्सपोर्ट किए, जो एक बड़ा बदलाव है।

फिर भी चीन क्यों जरूरी है?

  1. बड़ी सप्लाई चेन – Apple के प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाले अधिकतर पुर्जे अभी भी चीन में ही बनते हैं।
  2. लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर – चीन की फैक्ट्रियों में जो सप्लाई नेटवर्क है, वह भारत या वियतनाम में फिलहाल संभव नहीं है।
  3. ट्रेंड वर्कफोर्स – चीन में प्रशिक्षित मज़दूरों की संख्या बहुत अधिक है, जो तेज़ी से काम कर सकते हैं।

चीन से बाहर निकलने के जोखिम

राजनीतिक दबाव: Apple अगर तेज़ी से चीन से बाहर निकलता है, तो बीजिंग नाराज़ हो सकता है।

यूजर्स का विरोध: Apple की ब्रांड इमेज चीन में बहुत मजबूत है। वहां के यूजर्स अगर विरोध करते हैं, तो कंपनी को बड़ा नुकसान हो सकता है।

कॉस्ट बढ़ना: दूसरे देशों में उत्पादन की लागत अधिक है, जिससे Apple के प्रोडक्ट्स महंगे हो सकते हैं।

भारत के लिए क्या अवसर हैं?

भारत के लिए यह एक बड़ा मौका है। सरकार की PLI (Production Linked Incentive) स्कीम के चलते Apple जैसे ब्रांड्स भारत में निवेश कर रहे हैं। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।

लेकिन भारत को अभी स्किल्ड लेबर, मजबूत सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में और सुधार करने की ज़रूरत है।

निष्कर्ष:

Apple का चीन से बाहर निकलना आसान नहीं है। कंपनी भले ही भारत और वियतनाम की ओर बढ़ रही है, लेकिन चीन की सप्लाई चेन, प्रशिक्षित वर्कफोर्स और लॉजिस्टिक इकोसिस्टम को तुरंत रिप्लेस करना लगभग असंभव है। भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका जरूर है, लेकिन उसे अभी बहुत कुछ सीखना और करना बाकी है।

Source Attribution: यह जानकारी Rest of World की रिपोर्ट पर आधारित है। पूरा लेख पढ़ें

Akshay Barman

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