CBDT ने 2025 के लिए Income Tax Scrutiny Guidelines जारी किए, जानिए किन लोगों को Notice आ सकता है

भारत सरकार के Central Board of Direct Taxes यानी CBDT ने वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए Income Tax Scrutiny से जुड़े नए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। इन नए नियमों के तहत यह साफ किया गया है कि किन मामलों में आयकर विभाग ITR फाइल करने वाले लोगों या संस्थाओं को scrutiny notice भेजेगा। हर साल CBDT इस तरह की गाइडलाइंस जारी करता है ताकि टैक्सपेयर्स को यह स्पष्ट हो सके कि कौनसे व्यवहार या लेनदेन संदेहास्पद माने जा सकते हैं और कौनसे मामलों में जांच तय है।

2025 की नई Scrutiny Guidelines में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया गया है। सबसे पहला और प्रमुख मामला यह है कि अगर आपकी AIS या TIS रिपोर्ट में आपकी घोषित आय से कहीं अधिक ट्रांजैक्शन दिख रही हैं, तो आपका मामला scrutiny के लिए चुना जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹5 लाख की आय दिखाई है लेकिन आपके PAN से जुड़े बैंक खातों, म्यूचुअल फंड, स्टॉक्स या प्रॉपर्टी में ₹25 लाख से ज्यादा के ट्रांजैक्शन दिख रहे हैं, तो यह विभाग को संदेह में डाल सकता है।

दूसरा बड़ा आधार वह टैक्सपेयर होते हैं जिन्होंने लगातार दो साल से ITR नहीं भरा और फिर अचानक तीसरे साल बड़ी राशि दिखाते हैं या टैक्स रिफंड क्लेम करते हैं। ऐसे मामलों में विभाग cross-verification और scrutiny प्रक्रिया में प्रवेश करता है ताकि टैक्स चोरी या जानबूझकर गलत जानकारी देने की संभावना को जांचा जा सके।

तीसरी श्रेणी उन लोगों की है जिनके खिलाफ आयकर विभाग, ED, GST विभाग या किसी अन्य केंद्रीय एजेंसी ने रिपोर्ट सौंपी हो। ऐसे मामलों में scrutiny compulsory मानी जाती है और इसे मैन्युअल scrutiny कहा जाता है, जो सीधे CBDT के नोटिफिकेशन के तहत होती है। इसके अंतर्गत शेल कंपनियों, बेनामी संपत्ति रखने वालों, विदेशों में बिना अनुमति निवेश करने वालों आदि की भी जांच होती है।

चौथा वर्ग उन टैक्सपेयर्स का होता है जिन्होंने धारा 148 के तहत फिर से असेसमेंट के लिए चयनित किया गया हो यानी पुराने वर्षों में जो रिटर्न भरा गया था उसमें बड़ी गड़बड़ी सामने आई हो। ऐसे मामलों में विभाग आगे बढ़कर scrutiny करता है और उसकी प्रक्रिया अधिक गहन होती है।

नए गाइडलाइंस में इस बात पर भी विशेष ज़ोर दिया गया है कि किस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके मैन्युअल जांच से ज्यादा प्रभावशाली scrutiny की जा रही है। Income Tax विभाग के पास अब AIS, TIS, GST डेटा, बैंकिंग और म्यूचुअल फंड्स, सभी प्लेटफॉर्म्स का consolidated डेटा होता है जिससे यह तुरंत पता चल जाता है कि आपकी इनकम और खर्च में अंतर है या नहीं।

इस वर्ष एक और नई बात यह है कि अगर किसी Taxpayer ने High-Value Transactions किए हैं – जैसे कि ₹30 लाख से ज्यादा की संपत्ति खरीदना, ₹10 लाख से ज्यादा की fixed deposit करना, ₹2 लाख से ऊपर की cash withdrawal करना या ₹2 लाख से ऊपर का क्रेडिट कार्ड खर्च करना – तो उसका मामला scrutiny की प्राथमिकता में रखा जाएगा, भले ही उसने ITR भरा हो।

CBDT के मुताबिक सभी scrutiny notices e-proceeding के जरिए भेजे जाएंगे, यानी टैक्सपेयर को Income Tax Portal पर लॉगिन कर के जवाब देना होगा। अब फिजिकल नोटिस भेजने का चलन लगभग खत्म हो गया है। साथ ही, इस वर्ष से Notices भेजने की समयसीमा और जवाब देने की प्रक्रिया को भी automated किया गया है। यानी एक बार notice आया, तो उसके 15 या 30 दिनों के अंदर जवाब देना अनिवार्य है, नहीं तो मामला सीधे penalty या prosecution तक जा सकता है।

जो टैक्सपेयर सही तरीके से अपनी आय और खर्च को declare करते हैं, उनका scrutiny में आना बहुत कम होता है। लेकिन जो लोग जानबूझकर फर्जी खर्च दिखाते हैं, नकद में भारी लेन-देन करते हैं या किसी third-party account से पैसा ट्रांसफर कराते हैं, उन्हें scrutiny notice का सामना करना पड़ सकता है।

अगर आपको Scrutiny Notice आता है, तो घबराएं नहीं। सबसे पहले यह देखें कि notice किस धारा के तहत है – क्या यह Section 143(2) है जो विस्तृत जांच के लिए होता है, या सिर्फ Section 142(1) है जो जानकारी मंगाने के लिए होता है। फिर यह जांचें कि विभाग ने आपसे क्या पूछा है – क्या वह आपके खर्च, आपकी संपत्ति, या आपके रिटर्न में किसी विशेष एंट्री के बारे में स्पष्टीकरण चाहता है। उसके अनुसार सही कागजात जुटाएं, और अगर मामला गंभीर है, तो किसी अनुभवी CA या टैक्स कंसल्टेंट की मदद लें।

Scrutiny का मतलब यह नहीं होता कि आपको जेल हो जाएगी या भारी पेनल्टी लगेगी। अगर आपकी इनकम सही है और आपने सही तरीके से उसका विवरण दिया है, तो आप आसानी से इस प्रक्रिया से बाहर निकल सकते हैं। बहुत से मामले केवल प्रारंभिक दस्तावेज़ जमा करने के बाद ही बंद हो जाते हैं।

इसलिए नए CBDT Guidelines को पढ़ना और समझना हर टैक्सपेयर के लिए जरूरी है। अगर आप नियमित रूप से ITR फाइल करते हैं, AIS / TIS को मिलाकर सही आंकड़े भरते हैं, तो आप किसी भी scrutiny से बच सकते हैं। लेकिन अगर आपकी इनकम digital footprint से मेल नहीं खा रही है, तो तैयार रहें क्योंकि 2025 में scrutiny की प्रक्रिया और भी तेज और ऑटोमेटेड हो गई है।

CBDT Scrutiny Guidelines क्या हैं?

ये आयकर विभाग द्वारा जारी नियम होते हैं जो तय करते हैं कि किस टैक्सपेयर को जांच के लिए चुना जाएगा।

Scrutiny Notice किन कारणों से आता है?

AIS mismatch, हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन, टैक्स चोरी की आशंका, या एजेंसी रिपोर्ट्स के आधार पर।

अगर scrutiny notice आए तो क्या करना चाहिए?

सही दस्तावेज़ तैयार करें, समय से पोर्टल पर जवाब दें और जरूरत हो तो प्रोफेशनल की मदद लें।

क्या scrutiny में पेनल्टी लग सकती है?

अगर गलती साबित हो जाती है, तो हां। लेकिन सही जवाब देने पर कुछ नहीं होता।

क्या हर साल scrutiny होती है?

नहीं, ये चुनिंदा टैक्सपेयर पर आधारित होती है, जिनकी प्रोफाइल संदेहास्पद लगती है।

Akshay Barman

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