Dutch Government एक बार फिर बड़े राजनीतिक संकट में आ गई है। 3 जून 2025 को Geert Wilders की पार्टी PVV यानी Party for Freedom ने अचानक गठबंधन सरकार से बाहर होने की घोषणा कर दी। इसका मुख्य कारण बना आप्रवासन नीति पर मतभेद। Wilders कई सालों से कड़ी आप्रवासन नीति के समर्थन में रहे हैं। उनका कहना है कि नीदरलैंड्स की सीमाएं शरणार्थियों के लिए पूरी तरह से बंद होनी चाहिए। इसी सोच के तहत उन्होंने एक “दस सूत्रीय योजना” पेश की थी, जिसमें सख्त नियमों के जरिए शरण देने की प्रक्रिया को लगभग नामुमकिन बनाने की मांग की गई थी।
Geert Wilders की पार्टी का गठबंधन से बाहर होना Dutch Government के लिए बहुत बड़ा झटका है। अब प्रधानमंत्री Dick Schoof एक अंतरिम यानी caretaker सरकार के रूप में काम कर रहे हैं। जब तक नई चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक देश में राजनीतिक अनिश्चितता बनी रहेगी। इस समय नीदरलैंड्स की जनता और बाकी राजनीतिक पार्टियों में ये चर्चा जोरों पर है कि अगली सरकार किसकी होगी और क्या वाकई देश में शरणार्थियों को लेकर नीतियां और सख्त की जाएंगी।
Dutch Government की ये स्थिति 2023 के आम चुनावों से जुड़ी हुई भी लगती है, जब Geert Wilders की पार्टी ने 23.5% वोट हासिल किए थे। ये एक बहुत बड़ी जीत थी, जिससे ये साफ हो गया था कि देश में अब वैश्वीकरण और आप्रवासन के खिलाफ आवाजें तेज हो रही हैं। Wilders लंबे समय से यही मुद्दे उठाते आए हैं और जनता में उनका समर्थन बढ़ता गया है। यही वजह है कि इस बार उन्होंने गठबंधन में रहते हुए भी अपनी मांगों पर समझौता नहीं किया और अंत में बाहर निकलना ही बेहतर समझा।
ये राजनीतिक हलचल सिर्फ Dutch Government तक सीमित नहीं है। यूरोप भर में ऐसा माहौल बन रहा है। एक 2024 की European Council on Foreign Relations की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप के 47% लोग अब सख्त आप्रवासन नीति के पक्ष में हैं। ये आंकड़ा 2019 में 38% था। इसका मतलब है कि पूरे यूरोप में जनता की सोच बदल रही है और वे अब चाहते हैं कि बाहरी लोगों के लिए नियम कड़े किए जाएं।
Dutch Government की वर्तमान हालत से यूरोप के अन्य देशों को भी संकेत मिल रहा है कि अगर जनता की भावनाओं को नजरअंदाज किया गया, तो राजनीतिक संकट बढ़ सकता है। Wilders की पार्टी का बाहर जाना दिखाता है कि अब गठबंधन सरकारें भी दबाव में आ सकती हैं अगर उनकी नीतियां जनमत के खिलाफ हों। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जनता फिर से PVV को सत्ता सौंपती है या कोई और पार्टी इसका फायदा उठाती है।
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Dutch Government की ये राजनीतिक उथल-पुथल ना केवल नीदरलैंड्स के लिए बल्कि पूरे यूरोप के लिए एक चेतावनी है कि अब लोगों की मांगें बदल रही हैं। शरणार्थी नीति, सीमाओं की सुरक्षा और देश की पहचान को लेकर लोग गंभीर हो चुके हैं। ऐसे में जो भी सरकार बने, उसे इन मुद्दों पर ठोस फैसला लेना ही होगा।
यह कहानी यह भी दिखाती है कि एक पार्टी की सोच और जिद कैसे पूरे देश की राजनीति को हिला सकती है। Dutch Government के लिए अब सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या जनता फिर से एक कड़ी नीति वाली सरकार चाहती है या संतुलित फैसलों वाली? जवाब आने वाले चुनाव ही देंगे।
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