आज की तकनीक सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण की रक्षा के लिए भी काम कर रही है। ETH Zurich के छात्रों द्वारा बनाए गए दो नए रोबोट्स ने दुनिया का ध्यान खींचा है। इन रोबोट्स का नाम MONKEE और ReefRanger है। ये दोनों रोबोट बहुत खास हैं क्योंकि ये प्रकृति की सबसे नाजुक जगहों पर काम करने के लिए बनाए गए हैं – एक जंगल के ऊंचे पेड़ों पर और दूसरा गहरे समुद्र की प्रवाल भित्तियों यानी कोरल रीफ्स में। इन रोबोट्स की चर्चा “The Next Byte Podcast” के एक एपिसोड में भी की गई है जिसे Daniel Scott Mitchell और Farbod Moghaddam ने होस्ट किया।
MONKEE एक ऐसा रोबोट है जो पेड़ों पर चढ़ सकता है, ठीक वैसे जैसे एक बंदर चढ़ता है। यह रोबोट उन वैज्ञानिकों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है जो ऊंचे पेड़ों की छांव में रिसर्च करना चाहते हैं, जैसे कि पेड़ की पत्तियों का डेटा इकट्ठा करना, तापमान मापना, या वातावरण में बदलाव को ट्रैक करना। पहले वैज्ञानिकों को ऐसे कामों के लिए बड़ी-बड़ी सीढ़ियां या क्रेन की मदद लेनी पड़ती थी, लेकिन अब MONKEE जैसे रोबोट से यह काम आसान और सुरक्षित हो गया है। यह पेड़ों पर बिना नुकसान पहुँचाए चढ़ सकता है और ऊपर जाकर जरूरी जानकारी इकठ्ठा कर सकता है।
वहीं ReefRanger एक ऐसा रोबोट है जो समुद्र के नीचे जाकर कोरल रीफ की देखभाल करता है। कोरल रीफ समुद्र के जीवन के लिए बहुत जरूरी होते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में ये तेजी से नष्ट हो रहे हैं। ReefRanger का काम इन रीफ्स की निगरानी करना और उन्हें पोषण देना है ताकि वे फिर से जीवित हो सकें। यह रोबोट पूरी तरह से ऑटोनोमस है यानी इसे इंसान की सीधी मदद की जरूरत नहीं होती। यह अपने आप पानी में चलता है, जानकारी इकट्ठा करता है और जरूरत पड़ने पर कोरल को खाने योग्य पोषक तत्व भी देता है।
इन दोनों रोबोट्स की खास बात यह है कि ये ना सिर्फ पर्यावरण की मदद कर रहे हैं, बल्कि यह दिखा रहे हैं कि टेक्नोलॉजी को सिर्फ मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि पृथ्वी की भलाई के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दोनों रोबोट उन इलाकों में काम करते हैं जहां इंसान के लिए जाना मुश्किल या खतरनाक होता है। MONKEE और ReefRanger जैसे रोबोट्स पर्यावरण की रक्षा करने के साथ-साथ वैज्ञानिक रिसर्च को भी नई दिशा दे रहे हैं।
इस पॉडकास्ट एपिसोड को प्रायोजित किया है Mouser Electronics ने, जो कि एक बड़ी टेक इंडस्ट्री कंपनी है। इससे यह भी साबित होता है कि अब इंडस्ट्री और शिक्षा क्षेत्र साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि तकनीकी खोजें सिर्फ लैब में ही ना रहें, बल्कि असली दुनिया में भी लागू की जा सकें। Mouser जैसे प्रायोजक इस तरह के प्रोजेक्ट्स को आर्थिक और तकनीकी समर्थन देते हैं जिससे छात्र और वैज्ञानिक अपने आइडिया को असल रूप में बदल सकें।
इस तरह की पॉडकास्ट का एक और फायदा है कि यह जटिल तकनीकों को आम लोगों के लिए आसान भाषा में समझाते हैं। आज भी बहुत से लोग रोबोटिक्स या AI जैसे शब्द सुनते ही उलझ जाते हैं, लेकिन जब MONKEE और ReefRanger जैसे रोबोट्स के बारे में आसान भाषा में बताया जाता है, तो लोगों को यह समझ आता है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ मोबाइल ऐप्स और गेम्स तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे हमारी पृथ्वी भी बचाई जा सकती है।
आने वाले समय में ऐसे और भी रोबोट्स देखने को मिल सकते हैं जो पर्यावरण की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएंगे। पेड़ों की देखभाल से लेकर समुद्र की गहराइयों में पोषण पहुंचाने तक, तकनीक अब प्रकृति की सेवा में लग चुकी है। MONKEE और ReefRanger जैसे रोबोट एक नई शुरुआत हैं, और अगर इन्हें सही तरीके से अपनाया गया तो ये जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट को रोकने में हमारी मदद कर सकते हैं।