अगर आप सोचते हैं कि सोशल मीडिया से थोड़ा दूर रहने से कुछ नहीं बदलता, तो Stanford University की एक स्टडी आपको चौंका सकती है। अमेरिका में 2020 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले Stanford SIEPR की रिसर्च टीम ने एक बड़ा प्रयोग किया। उन्होंने लगभग 35,000 लोगों को Facebook या Instagram को छह हफ्तों के लिए बंद (deactivate) करने के लिए भुगतान किया, और नतीजे बेहद दिलचस्प रहे।
Facebook छोड़ने वालों में 0.060 और Instagram छोड़ने वालों में 0.041 स्टैंडर्ड डिविएशन की बढ़ोतरी देखी गई – सीधे शब्दों में कहें तो लोगों की emotional well-being में सुधार हुआ। यह सुधार इतना था कि विशेषज्ञों ने इसे थेरेपी के प्रभाव के 15% से 22% के बराबर माना। यह डेटा NBER (National Bureau of Economic Research) के पियर-रिव्यू पेपर में भी पुष्टि की गई है।
यह अध्ययन एक ऐसे समय में हुआ जब दुनिया में COVID-19 महामारी के कारण सोशल मीडिया का उपयोग चरम पर था। उस दौरान अमेरिका में ही 233 मिलियन लोग वर्चुअल कनेक्शन के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर थे। University of Maryland की एक अन्य स्टडी में बताया गया कि महामारी के समय सोशल मीडिया ने एक ओर लोगों को नागरिक भागीदारी के लिए प्रेरित किया, तो दूसरी ओर झूठी खबरों का फैलाव भी तेजी से हुआ।
इस पूरे प्रयोग के पीछे एक और महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक कारण भी रहा। प्रसिद्ध साइकोलॉजिस्ट Angela Duckworth की एक स्टडी बताती है कि जब कोई मोबाइल फोन आपके आस-पास होता है, तो आपकी IQ स्कोर 10% तक गिर सकती है। इस शोध को 2017 में Journal of Experimental Psychology में प्रकाशित किया गया था।
मतलब यह है कि अगर हम अपने आस-पास फोन या सोशल मीडिया से जुड़ी चीजें रखते हैं, तो हमारा मस्तिष्क थक जाता है – जिसे वैज्ञानिक भाषा में cognitive overload कहा जाता है। Stanford के अध्ययन में यह देखा गया कि Facebook या Instagram को हटाने के बाद यूजर्स को मानसिक रूप से ज्यादा शांति और नियंत्रण महसूस हुआ।
इसका मतलब यह नहीं कि सोशल मीडिया पूरी तरह गलत है। लेकिन जब आप इसे एक निश्चित समय के लिए छोड़ते हैं, तो आपकी भावनात्मक स्थिति में सुधार हो सकता है। आपको अपने समय और ध्यान पर ज्यादा नियंत्रण मिलता है। और सबसे खास बात – आप यह महसूस करते हैं कि आप तकनीक के गुलाम नहीं हैं।
आज जब Facebook और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म्स हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं, तब यह जानना बेहद जरूरी है कि एक सीमित ब्रेक भी आपकी मानसिक स्थिति को बेहतर बना सकता है। ऐसे प्रयोग यह दिखाते हैं कि सोशल मीडिया डिटॉक्स केवल एक ट्रेंड नहीं, बल्कि वास्तव में असरदार समाधान है।
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