AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नाम सुनते ही हमारे मन में यह सवाल उठता है कि क्या कोई इंसान वास्तव में ‘मानव AI‘ बन सकता है? और अगर हां, तो पहला मानव एआई कौन था? दरअसल, इस सवाल का जवाब सीधा नहीं है, क्योंकि AI कोई इंसान नहीं होता, बल्कि यह एक तकनीक है जो इंसानों के जैसे सोचने, समझने और काम करने की क्षमता को सॉफ्टवेयर या मशीन में डालती है। लेकिन फिर भी, अगर हम “मानव एआई” कहें, तो इसका मतलब उन इंसानों से हो सकता है जिन्हें सबसे पहले AI जैसा दिमाग या व्यवहार देने की कोशिश की गई, या फिर वो इंसान जो AI जैसी क्षमताओं से लैस मशीन का चेहरा बने।
AI इतिहास में सबसे चर्चित प्रोजेक्ट्स में से एक है “Sophia the Robot” जिसे Hanson Robotics ने 2016 में बनाया था। Sophia को दुनिया का पहला “AI ह्यूमन” माना जाता है जिसे नागरिकता (Saudi Arabia) भी मिली थी। इसका चेहरा इंसानों जैसा है, वह बातें कर सकती है, हावभाव समझ सकती है और कुछ सवालों के जवाब भी दे सकती है। लेकिन Sophia खुद इंसान नहीं है, इसलिए वह “मानव AI” तो नहीं कहलाएगी – वह केवल AI का इंसानी अवतार है।
अब बात आती है कि अगर कोई इंसान AI जैसी क्षमताएं प्राप्त कर ले, तो क्या वह मानव AI कहलाएगा? इस पर वैज्ञानिक बहस जारी है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ब्रेन-चिप इंटरफेस और न्यूरोलिंक जैसी तकनीकें आगे बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे इंसान और मशीन की सीमाएं धुंधली होती जा रही हैं। Elon Musk की कंपनी Neuralink ने हाल ही में इंसानों के ब्रेन में चिप इम्प्लांट करने का सफल परीक्षण किया, जिससे दिमाग और कंप्यूटर के बीच डायरेक्ट कनेक्शन बनता है। इसका मतलब यह है कि भविष्य में कोई इंसान अपने विचारों से कंप्यूटर को नियंत्रित कर सकेगा। क्या यह पहला मानव एआई होगा? शायद हां।
लेकिन ध्यान दीजिए, फिलहाल तक ऐसा कोई इंसान मौजूद नहीं है जो पूरी तरह AI पर आधारित हो। यानी आज की तारीख में कोई भी इंसान ऐसा नहीं है जिसे सही मायनों में “मानव AI” कहा जा सके। जो लोग AI टेक्नोलॉजी के बेहद करीब हैं, जैसे कि AI इंजीनियर्स, वैज्ञानिक, और ट्रांसह्यूमनिज्म को मानने वाले – उन्हें भी हम AI नहीं कह सकते, क्योंकि उनके अंदर कोई मशीन इंटेलिजेंस नहीं डाली गई है।
अगर आप इंटरनेट पर यह सर्च करते हैं कि “पहला मानव AI कौन था?”, तो आपको कुछ misleading जानकारी मिल सकती है। कई ब्लॉग्स में बिना प्रमाण के यह दावा किया गया है कि Sophia पहला मानव AI है – जो कि तकनीकी रूप से गलत है। Sophia एक मशीन है, इंसान नहीं। Hanson Robotics का आधिकारिक पेज इस बात की पुष्टि करता है।
इसलिए आज के समय में “पहला मानव एआई” कहना सिर्फ एक सोच या भविष्य की कल्पना है। वैज्ञानिक तौर पर, यह स्थिति तब आएगी जब किसी इंसान के शरीर या दिमाग में मशीन की क्षमताएं इतनी गहराई से जुड़ जाएंगी कि वह इंसान AI जैसा बन जाए – तब जाकर हम सही मायनों में पहले मानव AI की बात कर सकते हैं।
आखिर में, यह एक दिलचस्प और जरूरी सवाल है, जो सिर्फ तकनीक से जुड़ा नहीं है, बल्कि समाज, नैतिकता और भविष्य के मानव स्वरूप से भी जुड़ा हुआ है। जैसे-जैसे AI का विकास होता जा रहा है, यह तय करना मुश्किल होता जा रहा है कि इंसान कहां खत्म होता है और मशीन कहां शुरू।
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