G7 समिट 2025 में मोदी की दमदार मौजूदगी, भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत का प्रतीक

कनाडा के खूबसूरत कनानास्किस शहर में G7 समिट 2025 का आयोजन हुआ, जो कि दूसरी बार यहां हो रहा है। इससे पहले यह समिट 2002 में आयोजित की गई थी। इस बार की खास बात रही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति, जो G7 देशों का सदस्य नहीं होने के बावजूद इस प्रतिष्ठित मंच पर आमंत्रित किए गए। यह भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और प्रभाव का स्पष्ट संकेत है।

मोदी की उपस्थिति इस समिट में केवल एक औपचारिक आमंत्रण नहीं थी, बल्कि उन्होंने कई द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। खासतौर पर कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाउम के साथ उनकी बातचीत चर्चा का विषय रही। भारत-कनाडा संबंध पिछले कुछ वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर 2023 में जब दोनों देशों के बीच व्यापार 30% तक गिर गया था। लेकिन इस समिट ने एक नए संवाद और भरोसे की शुरुआत करने का मौका दिया।

G7 समिट का आयोजन कनाडा के रॉकी पर्वतों से घिरे शांतिपूर्ण और सुंदर इलाके कनानास्किस में किया गया, जिसने पूरी बैठक को एक खास वातावरण दिया। हालांकि दृश्य खूबसूरत थे, लेकिन मुद्दे गंभीर। समिट का बड़ा फोकस जलवायु परिवर्तन और वैश्विक उत्सर्जन में कटौती पर रहा। 2024 में प्रकाशित IPCC की रिपोर्ट के अनुसार, G7 देशों को 2030 तक 43% ग्रीनहाउस गैसों में कटौती करनी होगी, ताकि वैश्विक तापमान को नियंत्रण में रखा जा सके।

प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी इस चर्चा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि भारत जैसे विकासशील देशों की भागीदारी के बिना वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पाना मुश्किल है। मोदी ने इस मंच से विकासशील देशों की चिंताओं को भी रखा और सुझाव दिया कि जलवायु फंडिंग और तकनीकी सहायता में पारदर्शिता और समानता होनी चाहिए।

मोदी की भागीदारी सिर्फ पर्यावरण तक ही सीमित नहीं रही। उन्होंने वैश्विक व्यापार, डिजिटल ट्रांजैक्शन, खाद्य सुरक्षा और दक्षिण एशियाई सहयोग जैसे कई मुद्दों पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों की आवाज बनकर यह जताया कि अब केवल G7 नहीं, बल्कि G20 और BRICS जैसे मंचों की भागीदारी भी उतनी ही अहम है।

Observer Research Foundation की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वैश्विक मंचों पर भागीदारी पिछले दशक में तेजी से बढ़ी है। G7 जैसे मंचों पर उपस्थिति भारत के लिए न केवल वैश्विक नेतृत्व का अवसर है, बल्कि उसकी आर्थिक और राजनीतिक प्राथमिकताओं को दुनिया के सामने रखने का मजबूत प्लेटफॉर्म भी है।

G7 समिट 2025 एक ऐसे समय में हुआ जब दुनिया जलवायु संकट, आर्थिक अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रही है। इस माहौल में भारत की स्थिरता और सहयोगात्मक दृष्टिकोण ने एक बार फिर यह दिखाया कि भारत वैश्विक समस्याओं के समाधान में एक अहम भूमिका निभा सकता है।

इस समिट से यह संदेश स्पष्ट है कि भारत अब केवल एक भागीदार नहीं, बल्कि एक निर्णायक शक्ति बनता जा रहा है। नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक समझ और सक्रिय भूमिका ने भारत को एक भरोसेमंद वैश्विक नेता के रूप में प्रस्तुत किया है।

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Akshay Barman

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