हादसा या लापरवाही? ACP ऑफिस की छत गिरी, सब-इंस्पेक्टर की दर्दनाक मौत

गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। 24 मई 2025 की शाम आए तूफान के दौरान ACP ऑफिस की छत गिर गई, जिससे सब-इंस्पेक्टर वीरेंद्र मिश्रा की मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना न केवल एक प्राकृतिक आपदा से जुड़ी है, बल्कि हमारी सार्वजनिक निर्माण प्रणाली की पोल भी खोलती है।

2.5 साल पहले हुई थी लाखों की मरम्मत

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह वही ऑफिस है जिसकी छत और संरचना पर करीब 2.5 साल पहले लाखों रुपये खर्च किए गए थे। उस मरम्मत कार्य के बावजूद छत का ढह जाना निर्माण गुणवत्ता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार:

“मरम्मत के नाम पर सिर्फ दिखावे का काम हुआ था, अंदर की हालत पहले से ही खराब थी।”

प्राकृतिक आपदा या भ्रष्ट निर्माण?

AccuWeather की रिपोर्ट के अनुसार 24 मई की शाम को गाज़ियाबाद क्षेत्र में तेज़ हवा और आंधी चली थी, लेकिन इतनी ताकतवर नहीं कि एक पक्की सरकारी इमारत की छत गिर जाए। ऐसे में ये घटना एक प्राकृतिक त्रासदी कम और भ्रष्ट निर्माण की देन ज्यादा लगती है।

  • भारत में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं
  • भारत में सरकारी भवनों में घटिया सामग्री, घोटाले और कमीशनखोरी के किस्से आम हैं।
  • 2006 की Transparency रिपोर्ट और
  • Wikipedia का “Corruption in India” सेक्शन

इस बात की पुष्टि करता है कि कैसे ब्राइब्स और किकबैक सिस्टम निर्माण की गुणवत्ता को बर्बाद कर देते हैं।

एक पुलिसकर्मी की जान की कीमत

इस बार कीमत चुकानी पड़ी एक ईमानदार पुलिस अधिकारी को। वीरेंद्र मिश्रा, जो अपने ऑफिस में ड्यूटी पर थे, छत गिरने से वहीं दब गए और उन्हें अस्पताल पहुंचाने का भी समय नहीं मिला।

उनकी मौत हमें याद दिलाती है कि:

  • भ्रष्टाचार सिर्फ पैसा नहीं खाता, जान भी लेता है।
  • RTI और जवाबदेही: कितनी सफल?

2005 में लागू हुआ Right to Information Act (RTI) इसी उद्देश्य से लाया गया था कि सरकारी कार्यों में पारदर्शिता आए और जनता सवाल कर सके। लेकिन क्या RTI ने वाकई बदलाव लाया?

इस केस में देखने को मिलता है कि इतनी बड़ी मरम्मत के बावजूद

  • न गुणवत्ता की जांच हुई,
  • न रख-रखाव का रिकॉर्ड सामने आया,
  • और न ही कोई जवाबदेही तय की गई।

अब सवाल ये हैं…

  • क्या इस हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी?
  • किस निर्माण कंपनी ने मरम्मत का काम किया था?
  • क्या RTI के तहत जानकारी सार्वजनिक की जाएगी?
  • क्या वीरेंद्र मिश्रा की मौत सिर्फ “प्राकृतिक आपदा” बताकर फाइल बंद कर दी जाएगी?

निष्कर्ष: कब तक होती रहेंगी ऐसी मौतें?

ACP ऑफिस जैसी अहम सरकारी इमारतों की हालत जब इतनी खराब है, तो आम नागरिकों के घरों की क्या स्थिति होगी? हर बार हादसे के बाद जांच के आदेश और कुछ समय बाद सब भुला दिया जाता है। लेकिन एक इंसान की जान चली गई है — क्या अब भी हम बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं?

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Akshay Barman

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