Google Veo 3 का कमाल: अब AI बना रहा है असली जैसा वीडियो, देखिए कैसे

@Zoya_ai ने हाल ही में एक वीडियो X (Twitter) पर शेयर किया है जो Google के नए AI मॉडल Veo 3 से जनरेट किया गया है। वीडियो में दो महिलाएं एक स्ट्रीट इंटरव्यू के दौरान किसी विषय पर बातचीत करती नजर आती हैं — और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा सीन AI द्वारा बनाया गया है, इंसानों द्वारा नहीं।

Veo 3 क्या है?

Veo 3, Google DeepMind का नया AI वीडियो जनरेशन मॉडल है, जो सिर्फ फोटो या सीन ही नहीं बल्कि बातचीत, बैकग्राउंड साउंड और इमोशन्स तक को भी सटीकता से क्रिएट करता है।

यह तकनीक वीडियो को इतना रियल बनाती है कि AI और असली फुटेज के बीच फर्क करना मुश्किल हो गया है।

Read Also | Google ने लॉन्च किया ‘Flow’ और ‘Veo 3’: AI से बनेगी अब फिल्में, बिना कैमरा और क्रू के!

वीडियो में क्या खास था?

@Zoya_ai द्वारा शेयर किए गए वीडियो में दो महिलाएं सड़क पर बातचीत करती दिखती हैं। बातचीत का टोन, हाव-भाव और आसपास का माहौल इतना प्राकृतिक और भरोसेमंद है कि कई यूज़र्स को शुरुआत में ये AI वीडियो होने पर विश्वास नहीं हुआ।

इससे ये साबित होता है कि Veo 3 ना सिर्फ visuals बल्कि कन्वर्सेशनल फ्लो और रियलिस्टिक इंटरेक्शन भी बेहद प्रभावी तरीके से तैयार कर सकता है।

क्या हैं इसके फायदे?

  • फिल्ममेकिंग में क्रांति – छोटे फिल्ममेकर अब बड़ी प्रोडक्शन क्वालिटी के वीडियो खुद बना सकते हैं।
  • क्रिएटिविटी को नयी उड़ान – बिना महंगे सेटअप के, केवल टेक्स्ट प्रॉम्प्ट्स से फिल्में, शॉर्ट्स और ऐड तैयार करना संभव।
  • संपर्क और संवाद में नया आयाम – अब संवाद और चेहरों की भावनाएं भी मशीन सीखने लगी हैं।

Darren Aronofsky के साथ DeepMind की साझेदारी

Google DeepMind ने मशहूर डायरेक्टर Darren Aronofsky की फिल्म “Primordial Soup” में भी Veo मॉडल को प्रयोग में लाया है। इसका उद्देश्य है : “AI को एक क्रिएटिव टूल की तरह इस्तेमाल करना, जो इंसानी कल्पना को और भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सके।”

लेकिन क्या यह खतरे का संकेत भी है?

हां, कुछ विशेषज्ञों और आलोचकों का मानना है कि इस तरह की तकनीकें deepfake और misinformation को बढ़ावा दे सकती हैं। अगर कोई वीडियो AI से इस हद तक असली लग सकता है, तो झूठ फैलाना आसान हो जाएगा। ऑथेंटिसिटी की पहचान करना आम दर्शक के लिए मुश्किल हो सकती है।

आगे क्या?

Google ने अब तक Veo 3 को सार्वजनिक रूप से लॉन्च नहीं किया है, लेकिन इसके डेमो और प्रीव्यूज़ से यह साफ है कि यह तकनीक आने वाले वर्षों में फिल्म, मार्केटिंग, शिक्षा और मीडिया के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकती है।

निष्कर्ष

Google Veo 3 केवल एक वीडियो जनरेशन टूल नहीं, बल्कि इंसान और मशीन के बीच की क्रिएटिव साझेदारी का प्रतीक बन रहा है। हालांकि इससे जुड़े एथिकल और सोशल चैलेंज भी कम नहीं हैं, फिर भी इसका सही और जिम्मेदार उपयोग मानव कल्पना को नई दिशा दे सकता है।

Read Also :

Akshay Barman

chalrahahai.com एक ऐसी वेबसाइट है जहाँ हम ज़िंदगी से जुड़ी बातें, कहानियाँ और अनुभव शेयर करते हैं। हमारा मकसद है लोगों को जानकारी देना, कुछ नया सिखाना और एक पॉज़िटिव सोच फैलाना।

View all posts by Akshay Barman

Leave a Comment