हवा में भी और पानी के अंदर भी! जानिए इस हाइब्रिड ड्रोन की कमाल की तकनीक

एक ऐसा ड्रोन जो न सिर्फ हवा में उड़ता है बल्कि पानी के अंदर भी आसानी से तैर सकता है, ये अब कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है। Sebastian Völkl की X पोस्ट में एक ऐसा हाइब्रिड ड्रोन दिखाया गया है जो हवा और पानी दोनों में काम करने में सक्षम है। इसकी सबसे खास बात है इसके “variable-pitch propellers” जो ड्रोन को दोनों माध्यमों में स्मूद ट्रांजिशन करने की क्षमता देते हैं।

इस ड्रोन की डिजाइनिंग इस तरह की गई है कि ये पानी की गहराई में जाकर भी मिशन पूरा कर सकता है और फिर हवा में उड़कर वापस लौट सकता है। जहां आमतौर पर ड्रोन या तो हवा में उड़ते हैं या पानी में चलते हैं, वहां ये हाइब्रिड ड्रोन दोनों में समान रूप से परफॉर्म करता है।

वर्ष 2015 में किए गए एक रिसर्च में variable-pitch क्वाडकॉप्टर्स के बारे में बताया गया था, जिसमें यह सिद्ध हुआ था कि ऐसे ड्रोन अधिक ऊर्जा दक्ष होते हैं और अधिक गतिशीलता (maneuverability) प्रदान करते हैं। यह हाइब्रिड ड्रोन उसी दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाता है।

ड्रोन की पानी में ऑपरेट करने की क्षमता उसे रेस्क्यू मिशन, समुद्री सर्वेक्षण, इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्पेक्शन और यहां तक कि डिफेंस ऑपरेशन जैसे क्षेत्रों में बेहद उपयोगी बना देती है।

पानी के अंदर सबसे बड़ी चुनौती होती है कम्युनिकेशन और नेविगेशन की। पानी की प्रकृति ऐसी होती है जिसमें रेडियो वेव्स आसानी से ट्रांसमिट नहीं हो पातीं। लेकिन अब जो टेक्नोलॉजी विकसित की जा रही है, जैसे कि अंडरवाटर ROVs (Remotely Operated Vehicles), वो इन चुनौतियों को पार करने में सक्षम हो रही है।

Sebastian Völkl की पोस्ट में जिस तरह इस हाइब्रिड ड्रोन का डेमो दिखाया गया है, वो पूरी दुनिया को बता रहा है कि अब टेक्नोलॉजी केवल एक ही जगह की नहीं रही। अब रोबोटिक्स का मतलब सिर्फ जमीन या हवा नहीं, बल्कि समुंदर की गहराइयों तक पहुंचना भी है।

2024 में आयोजित FLAIMS जैसे अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में भी यह देखा गया कि अब रोबोटिक्स को मल्टी-एनवायरमेंट के लिए डिजाइन किया जा रहा है। यानी एक ही मशीन पानी, हवा और जमीन – तीनों जगह काम कर सके।

अगर इस हाइब्रिड ड्रोन की टेक्नोलॉजी को बड़े स्तर पर अपनाया गया, तो यह समुद्री जीवन की स्टडी, पनडुब्बियों के रखरखाव, और समंदर में फंसे लोगों के रेस्क्यू में बहुत बड़ा रोल निभा सकता है।

साथ ही, इसका उपयोग आर्मी और नेवी में भी किया जा सकता है, जहां सीमाओं के आसपास की निगरानी पानी के अंदर से लेकर हवा तक जरूरी हो जाती है।

आज के समय में जहां हर देश अपने रक्षा तंत्र को मजबूत करने की ओर बढ़ रहा है, वहीं यह हाइब्रिड टेक्नोलॉजी एक गेमचेंजर साबित हो सकती है।

अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि यह हाइब्रिड ड्रोन एक नई शुरुआत है, एक ऐसी दिशा की ओर जहां मशीनें केवल मशीनें नहीं रहेंगी, बल्कि इंसानों की तरह अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल सकेंगी।

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हाइब्रिड ड्रोन क्या होता है?

हाइब्रिड ड्रोन एक ऐसा ड्रोन होता है जो दो या अधिक वातावरण में ऑपरेट कर सकता है, जैसे हवा और पानी।

पानी के अंदर ड्रोन कैसे काम करता है?

पानी में ड्रोन सोनार, प्रोपेलर्स और वॉटरप्रूफ सेंसर्स के माध्यम से नेविगेट करता है।

हाइब्रिड ड्रोन का उपयोग कहां होता है?

समुद्री शोध, रक्षा ऑपरेशन, रेस्क्यू मिशन और इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्पेक्शन में।

क्या ऐसे ड्रोन भारत में भी बनते हैं?

भारत में अभी रिसर्च स्तर पर काम चल रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कंपनियां तेजी से हाइब्रिड मॉडल्स बना रही हैं।

क्या यह टेक्नोलॉजी सुरक्षित है?

टेस्टिंग और सुरक्षा मापदंड पूरे करने के बाद ही ऐसे ड्रोन फील्ड में उपयोग किए जाते हैं।

Akshay Barman

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