4 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के डिप्टी प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स से एक अहम राजनयिक बैठक की। यह मुलाकात India-Australia Comprehensive Strategic Partnership की पाँचवीं वर्षगांठ के मौके पर हुई, जिसे 2020 में शुरू किया गया था। इस साझेदारी का उद्देश्य सिर्फ सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, बल्कि रक्षा, व्यापार और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर गहरी रणनीतिक सोच को साझा करना भी है।
आतंकवाद पर साझा निंदा
यह बैठक उस समय हुई जब भारत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से दुखी था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए। यह हमला “द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)” नाम के आतंकी संगठन ने किया था। भारत ने इस पर सख्त रुख अपनाया और ऑस्ट्रेलिया ने भारत के रुख का समर्थन करते हुए आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई की प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम जरूरी हैं।
पिछले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में बड़ी छलांग
जब से India-Australia Comprehensive Strategic Partnership की शुरुआत हुई है, तब से दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में बड़ा बदलाव देखा गया है। 2020 में जहां यह व्यापार $25 बिलियन के आसपास था, वहीं 2023 तक यह दोगुना होकर $50 बिलियन तक पहुंच गया। इससे साफ है कि व्यापार और आर्थिक संबंधों में गहराई आई है।
निवेश और रक्षा सहयोग की चुनौतियाँ
हालांकि व्यापार बढ़ा है, लेकिन निवेश के मामले में अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के कुल विदेशी निवेश में भारत की हिस्सेदारी केवल 0.6% थी। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को ऑस्ट्रेलिया से और ज्यादा निवेश की जरूरत है, खासकर टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में।
रक्षा क्षेत्र में भी दोनों देश अब और मजबूत सहयोग की दिशा में बढ़ रहे हैं। एक 2025 की Australia India Institute रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि दोनों देश समुद्री निगरानी के लिए बेस साझा कर सकते हैं, जिससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन जैसे प्रभावशाली देशों के बढ़ते दखल का सामना करना आसान हो सकता है।
क्रिकेट से आगे की साझेदारी
भारत और ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते पहले केवल क्रिकेट तक ही सीमित माने जाते थे। लेकिन अब इनका दायरा बढ़ गया है। अब बात केवल खेल की नहीं, बल्कि रक्षा रणनीति, समुद्री सुरक्षा, शिक्षा, तकनीकी आदान-प्रदान और जलवायु परिवर्तन तक पहुंच गई है। यह सब India-Australia Comprehensive Strategic Partnership का ही हिस्सा है।
भविष्य की राह
यह साझेदारी अब एक अहम मोड़ पर है। यदि निवेश और रक्षा सहयोग को और मजबूत किया जाए, तो यह गठजोड़ आने वाले वर्षों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की राजनीति में एक बड़ा रोल निभा सकता है। दोनों देशों के नेतृत्व ने इस साझेदारी को और मजबूत करने की मंशा दिखाई है।